हिंदी कविता अभिलाषा | Hindi Kavita Abhilashsa
आप पढ़ रहे हैं ( Hindi Kavita Abhilashsa ) हिंदी कविता अभिलाषा हिंदी कविता अभिलाषा तू मेरे तन की तनया है। तेरे रोम-रोम मे खुशबू है मेरी। तू तनय से भी तेज तर्रार है। पर समाज मे तेरे मान की रार है। अब तू बदल,बदला है समय। समय के साथ…