माँ के ऊपर कविता :- वह माँं है | Maa Ke Upar Kavita
आप पढ़ रहे हैं ( Maa Ke Upar Kavita ) माँ के ऊपर कविता “वह माँं है” :-
माँ के ऊपर कविता
पेट में रख नौ महीने माँ की ममता जो प्यार करे
दुख सह पल पल आंनद मनाए वह माँं है,
रूप देखन को लाल का तड़पे नौ महीने जो,
कभी कृष्णा कभी राम बुलाए वो माँं है,
पेट में रख नौ महीने माँ की ममता जो प्यार करे
दुख सह पल पल आंनद मनाए वह माँं है।
जब लाल जन्म ले धरती पे आ रोया तो,
सीने का खून जो पिलाए वो माँं है,
रात रात भर जग सेवा करे लाल की जो,
अपने हिस्से का निवाला खिलाए वो माँं है ।।1।।
पेट में रख नौ महीने माँ की ममता जो प्यार करे
दुख सह पल पल आंनद मनाए वह माँं है।
पहली बार माँं सुन अपनी लाल से जो,
दुनिया की हर सुख पा जाए वो माँ है,
पहली जो चुम्बन लाल ने दी माँं के गालों पर,
तो मगन हो धरा पर खुशियां लुटाए वो माँं है ।।2।।
पेट में रख नौ महीने माँ की ममता जो प्यार करे
दुख सह पल पल आंनद मनाए वह माँं है।
पर वहीं लाल माँं को जो छोड़ देता वृद्धाश्रम में,
दुख पाती फिर भी आशीर्वाद लुटाए वो माँ है
माँं सोचे बार बार जिऊ लाल तेरे बिन कैसे,
पर वहीं लाल निष्टुर हो देखन ना जाए वो माँ है।।3।।
पेट में रख नौ महीने माँ की ममता जो प्यार करे
दुख सह पल पल आंनद मनाए वह माँं है।
वाह री रचना बनाई प्रभु तूने जो,
खुद से भी बढ़कर भगवान बनाई वो माँं है,
संजय सरल सोच हर्षित बार बार होता,
हूं आभारी ईश्वर का कि मेरे पास माँं है ।।4।।
पेट में रख नौ महीने माँ की ममता जो प्यार करे
दुख सह पल पल आंनद मनाए वह माँं है।
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रचनाकार का परिचय
यह कविता हमें भेजी है संजय पांडेय जी ने जौनपुर,उत्तर प्रदेश से।
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