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हिंदी कविता मैं शायर न होता

हिंदी कवित मैं शायर न होता

तेरी यादों को रखके, दिल सुराही हो गया।
आँसू का हर एक कतरा, स्याही हो गया।
मिले दिल के पन्नों पे बेवफ़ाई के गम हैं
इसीलिए मैं कलम का सिपाही हो गया।

मोहब्बत में मैं अगर,यूँ ठुकराया न जाता
तो शायद मैं रातों को तकिए पर न रोता।
शायरी का सहारा,टूटे दिल को न मिलता
तो शायद मैं कलम का सिपाही न होता।

तेरी यादों में जब,अश्रुधार गिरने लगी थी।
तब कलम मेरी खुदबखुद चलने लगी थी।
अपने दर्द-ए-गम को कागज पे लिखकर
शायरी की गंगा खुदबखुद बहने लगी थी।

तुझे खोने के डर से, मैं यूँ कायर न होता।
मेरा सब कुछ तुझ पर,न्यौछावर न होता।
बहुत तक़लीफ़ देती हैं,मोहब्बत की राहें।
तू हाथ न छोड़ती तो,मैं यूँ शायर न होता।

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हरीश चमोली

मेरा नाम हरीश चमोली है और मैं उत्तराखंड के टेहरी गढ़वाल जिले का रहें वाला एक छोटा सा कवि ह्रदयी व्यक्ति हूँ। बचपन से ही मुझे लिखने का शौक है और मैं अपनी सकारात्मक सोच से देश, समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जीवन के किसी पड़ाव पर कभी किसी मंच पर बोलने का मौका मिले तो ये मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी।

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