आप पढ़ रहे हैं हरीश चमोली जी द्वारा रचित ( Kartavya Par Kavita ) कर्तव्य पर कविता ” धर्म से बड़ा कर्तव्य ” :-

कर्तव्य पर कविता

कर्तव्य पर कविता

कोई जीवन में आगे बढ़ता, कोई पीछे रह जाता है।
कोई ठोकर खाकर भी,हर बार संभल नहीं पाता है।
जो सुप्त पड़े हर जन-जन में,एक अलख नई जगाता है।
असली योद्धा वही है जो,पिछड़ों को सुमार्ग दिखाता है।
अपना कर्तव्य निभाता है।

पदचिह्न बनाना आसान है किंतु,उन पर चलना मुश्किल है।
सुदृढ़ निश्चय कर अपना तो,सुनिश्चित मिलना मंजिल है।
भटक रहे जो अंधकार में,उन तक जो प्रकाश पहुंचाता है।
असली योद्धा वही है जो,मनुष्यता का मूल्य दिखाता है।
अपना कर्तव्य निभाता है।

भेद-भाव से परे रहकर जो,ज्ञान चहुँओर फैलाता है।
मानवता का भाव हो जिसमें,जीवन का अर्थ बताता है।
धर्म-कर्म की बात जो करता,सत्यगीत सदा ही गाता है।
असली योद्धा वही है जो,सद्धर्म की राह दिखाता है।
अपना कर्तव्य निभाता है।

वीर-धीर गुण होते जिसमें,क्रांति की लौ जलाता है।
जन-कल्याण करने हित क्षत्रिय,जो रक्षक बन जाता है।
सत्य-जीत की तान छेड़कर,विजय गीत जो गाता है।
असली योद्धा वही है जो,विजय की राह दिखाता है।
अपना कर्तव्य निभाता है।

ब्राह्मण वही जो ज्ञान बांटता,करता निज सुख त्याग
धार्मिक भाव रख हृदय में,जलाता संस्कृति चिराग।
प्राणदान करके भी अपने, धर्म का मान बचाता है।
असली योद्धा वही है जो,समाज को राह दिखाता है।
अपना कर्तव्य निभाता है।

वैश्य वर्ण की बात अनोखी,करती लेन-देन की बात।
चाहे ब्राह्मण,क्षत्रिय शुद्र हो,देता फिर सबका साथ।
भेद-भाव के बिना समाज में, सामंजस्य बनाता है।
असली योद्धा वही है जो,एकता की राह दिखाता है।
अपना कर्तव्य निभाता है।

वर्ण शुद्र इक वरदान सम,कर प्रभु सेवा दिन-रात।
समाज कल्याण करते सदा,निःश्वार्थ भाव के साथ।
रहकर लीन सेवा-पथ पर ,जो मानव धर्म बताता है।
असली योद्धा वही है जो,पिछड़ों को राह दिखाता है।
अपना कर्तव्य निभाता है।

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मेरा नाम हरीश चमोली है और मैं उत्तराखंड के टेहरी गढ़वाल जिले का रहें वाला एक छोटा सा कवि ह्रदयी व्यक्ति हूँ। बचपन से ही मुझे लिखने का शौक है और मैं अपनी सकारात्मक सोच से देश, समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जीवन के किसी पड़ाव पर कभी किसी मंच पर बोलने का मौका मिले तो ये मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी।

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