Beti Par Kavita | बेटी पर कविता – मेरी बेटी मेरा मान

Beti Par Kavita - प्रस्तुत है मनीषा राठौर जी द्वारा रचित बेटी पर कविता " मेरी बेटी मेरी शान " Beti Par Kavitaबेटी पर कविता मेरी बेटी, मेरा मान,मेरा वुजूद, मेरी शान है मेरी बेटी,नैन नक्श भी बिलकुल मुझसे है,जैसे ईश्वरने बनाई मेरी परछाई है, वो पल भी क्या आसमानी…

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माँ पर कविता हिंदी में | Maa Par Kavita Hindi

प्रस्तुत है यह कविता हमें भेजी है कृष्ण मुरारी उपाध्याय जी द्वारा रचित माँ पर कविता हिंदी में ( Maa Par Kavita Hindi ) माँ पर कविता हिंदी मेंMaa Par Kavita Hindi माँ तुलसी है , माँ गंगा है , माँ जननी महामाया है।जीवन का सारा सुख मैंने , माँ…

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सपने पर कविता | Sapne Par Kavita

हंसराज "हंस" जी द्वारा रचित सपने पर कविता ( Sapne Par Kavita ) :- सपने पर कविताSapne Par Kavita जीवन में सपने देखना,होता नही है बुरा।मेहनत व सच्ची लगन से,करना चाहिए उनको पुरा।  क्योंकि सपने वो नहीं होते,जो नींद में देखे जाते है।सपने वो होते है,जो नींद नही आने देते। …

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होली के रंगों में कविता | Holi Ke Rangon Me Kavita

होली के रंगों में कविता - होली को समर्पित रामबृक्ष कुमार जी कि कविता :- होली के रंगों में कविता होली के रंगों मेंमन के उमंगों मेंलोगों के संगों में,झूम झूम जाएं हमघूम घूम गाएं हम। होली में हो लें हम एक-दूसरे के। ऋतु के वसंतों मेंमदमस्त अंगों मेंफूलों के…

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Holika Dahan Par Kavita | होलिका दहन पर कविता

Holika Dahan Par Kavita - प्रस्तुत है रामबृक्ष कुमार जी द्वारा रचित होलिका दहन पर कविता :- Holika Dahan Par Kavitaहोलिका दहन पर कविता आज दहन की रातचांद से सुंदर मुखड़े काउठेगी जन ज्वाला अंगारजलेगी एक नारी सम्मानउठेगी गंगा में ज्वार आजहोगी हुल्लड़ो की सौगात।आज दहन की रात वह भी…

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हिंदी कविता प्रतिज्ञा | Hindi Kavita Pratigya

हिंदी कविता प्रतिज्ञा - हंसराज जी द्वारा रचित प्रतिज्ञा पर कविता :- हिंदी कविता प्रतिज्ञा मां गंगा से लेकर,भीष्म पितामह ने आज्ञाअविवाहित रहूंगा जीवन भर, की थी भीष्म प्रतिज्ञा। पिता के वचन की,श्रीराम ने नही की अवज्ञा।चौदह वर्ष के वनवास की,पूरी की भीषण प्रतिज्ञा।  मातृभूमि की रक्षा खातिर,वन वन भटके प्रताप।मेवाड़…

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हिन्दी कविता एक सपना | Hindi Kavita Ek Sapna

हिन्दी कविता एक सपना एक सपना मैं भी बुनता हूँ ।अपने सपनों की चहा मैं हम उड़े जा रहे है , गिरे जा रहे ।अपने रिश्तों को हम खोए जा रहे हैंहम सपने बुनते जा रहे है । सपनों की चाह में हमधीरे- धीरे मिटते जा रहे है ।उम्मीदों पर…

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बेरोजगारी पर कविता | Berojgari Par Kavita

बेरोजगारी पर कविता - देश की एक समस्या " बेरोजगारी " पर रामबृक्ष कुमार जी की कविता :- बेरोजगारी पर कविता आदि अंत हो या अनन्त होमिटी कहां है क्षुधा किसी कीशायद इसी  लिए  ही ईश्वरकर खाने के लिए हाथ दी इन हाथों से मेहनत करनासीखा मैंने इस आशा सेसपनो…

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हिंदी कविता परछाई | Hindi Kavita Parchai 

हिंदी कविता परछाई - प्रस्तुत है हंसराज हंस जी द्वारा रचित रचना :- हिंदी कविता परछाई जीवन है बहुत छोटा,मत बनो हरजाई।करो दीनों की सेवा,बन उनकी परछाई। दुखियों की न जाने,कोई पीर पराई।कर रोज पाप कर्म,मत खोदो अपनी खाई। नर सेवा ही नारायण सेवा,जान करो सबसे प्रीत।बन मानव की परछाई,गाओ…

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कुमार विश्वास पर कविता | Hindi Poem On Kumar Vishwas

राघवेंद्र सिंह जी की प्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास को समर्पित " कुमार विश्वास पर कविता " :- कुमार विश्वास पर कविता भारत जैसी पुण्य धरा सेएक बीज प्रस्फुटित हुआ।मार्तंड रवि दिनकर सा वहउदयाचल से उदित हुआ। पाकर ऐसा दिव्य लालधन्य हुई यह सकल धरा।वीणापाणि अंश है जन्मास्वयं प्रफुल्लित हुई स्वरा।…

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समय की पहचान कविता – कैसी है पहचान | Samay Ki Pahchan Kavita

राघवेंद्र सिंह जी द्वारा रचित समय की पहचान कविता समय की पहचान कविता कैसी है पहचान तुम्हारीकहांँ तुम्हारा बना निलय?मुझे बताओ अश्व समय केकरना है मुझे तुम्हें विजय। दांँव लगाने सामर्थ्य की तुमचार पांँव से ही चल आते।विविध रंग की राग रागिनीके संग में तुम बल लाते। है कितना पुरुषार्थ…

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हिंदी कविता जागो अब | Hindi Kavita Jaago Ab

रामबृक्ष कुमार जी की " हिंदी कविता जागो अब " हिंदी कविता जागो अब जागो अब जीवन लो तराश ।नीली  धरती  से  गगन  बीचमंगल जीवन  रेखा  लो  खींचकलमयुग कलयुग का इतिहास ।जागो !अब  जीवन  लो  तराश । धरती गगन समूचे जल को,नाप लिया जीवन के पल कोशिक्षा  से  है  जीवन  विकास ।जागो  !अब  जीवन  लो  तराश । न कृपा श्राप वरदान कोई      न स्वर्ग वैतरणी  दान कहींसच का करोगे कब एहसास ?जागो ! अब  जीवन  लो  तराश । करे न विधवा शुभ कार्य शुरूयह अपमान क्यों स्वीकार करूकब   ये    मिटेगा   अंधविश्वास।जागो !अब  जीवन  लो  तराश । पत्थर पर दूध गिराते होपर किसकी क्षुधा मिटाते हो?सत्य का कब होगा आभास?जागो !अब  जीवन  लो  तराश ।   क्या छुआ छूत क्या भेदभावनफरत का जलता क्यूं अलाव?मानवता   का   हो   रहा   हास।जागो !अब  जीवन  लो  तराश । मन दिल का ईश्वर मात पिताहैं श्रद्धा ममता के बृक्ष लताफिर क्यों होता है परिहास। जागो !अब  जीवन  लो  तराश । हाथों की रेखा भाग्य नहीहै कर्म इष्ट सौभाग्य यहीजग में भर दो जगमग प्रकाश ।जागो !अब  जीवन  लो  तराश । सद्भाव आचरण प्रेम कृत्यधरती को बनाते स्वर्ग नित्यकर लो मन में सुकर्म सुवास ।जागो !अब जीवन लो तराश । पढ़िए :- प्रेरणादायक कविता " प्रखर धूप में " रचनाकार का परिचय यह कविता हमें भेजी है रामबृक्ष कुमार जी ने अम्बेडकर नगर से। “ हिंदी कविता जागो…

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