कृष्णा राज जी द्वारा रचित हिंदी कविता बदलते रिश्ते :-

हिंदी कविता बदलते रिश्ते

हिंदी कविता बदलते रिश्ते

तुम्हारी तो आदत ही थी
सबसे मोहब्बत करने की..
और हम पागल खुद को
खुशनसीब समझने लगे..

मोहब्बत लिखने की
आदत थी हमारी भी..
अब हर साँस के साथ
दर्द लिखने लगे..

क्या खूब सिला दिया
अपना बना कर तुमने.
जिंदगी की चाहत थी
अब मौत मांगने लगे..

कितनी कोशिशें
कितने जतन किए.
तुम पहले से और ज्यादा
याद आने लगे..

हमने प्यार किया था
बस प्यार किया..
हमें गलत कहकर तुम
इल्ज़ाम लगाने लगे.

बहुत नाज़ था हमें
अपने दिल पर.
जिन्हें दिया वही आज
तोहमत लगाने लगे..

जीने की हर राह
हर आस छीनने वाले.
आज देखो खुद
आसमाँ में उड़ने लगे

पढ़िए :- समझदारी और बादलाव पर कविता ” समझदारी दिखाना भी है जरूरी “


रचनाकार का परिचय

यह कविता हमें भेजी है कृष्णा राज जी ने।

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