होली के रंगों में कविता – होली को समर्पित रामबृक्ष कुमार जी कि कविता :-

होली के रंगों में कविता

होली के रंगों में कविता

होली के रंगों में
मन के उमंगों में
लोगों के संगों में,
झूम झूम जाएं हम
घूम घूम गाएं हम।

होली में हो लें हम एक-दूसरे के।

ऋतु के वसंतों में
मदमस्त अंगों में
फूलों के रंगों में,
रंग रंग जाएं हम
खिल खिल जाएं हम।

बन जाएं दूसरों के नूर चेहरे के,
होली में हो लें हम एक-दूसरे के।

घरों के आंगन में
फूलों के बागन में
गली गलियारन में,
दौड़ दौड़ जाएं हम
चरण चूम आएं हम।

लेकर गुलाल आशीष ले सबेरे के,
होली में हो लें हम एक-दूसरे के।

फागुन फगुनाई में
हलुआ मिठाई में
आंगन अगनाई में,
भर भर मिठास हम
रंग रंग लिबास हम।

गाएं सब फगुआ, संग ढोलक मंजीरे के,
होली में हो लें हम एक-दूसरे के।

रंग भर पिचकारी में
पूर्णिमा के वारी में
हल्ला हुलकारी में,
नांच नांच गाएं हम
द्वार द्वार जाएं हम।

फसल महोत्सव है गांव गांव मजरे के,
होली में हो लें हम एक-दूसरे के।

लेकर हाथ हाथों में
होकर सब साथों में
मन के मिठासों में,
घोल घोल अमृत हम
हो हो कर हर्षित हम।

हो जाएं एक हम, फूलों सा गजरे के,
होली में हो लें हम एक-दूसरे के।

गीतों के तालों में
मन मतवालों में
मनमीत चालों में,
मन मन को भाएं हम
पल पल सुहाए हम।

प्रीत से ही जीत लें मन, भूलें बिसरे के,
होली में हो लें हम एक-दूसरे के।

गोरे गोरे गालों में
चाल मतवालों में
अबीर गुलालों में,
खिल खिल जाएं हम
लुट लुट जाएं हम।

ऐसे ही प्रेम बांटे ,संग तीसरे के,
होली में हो लें हम एक-दूसरे के।

पढ़िए :- कविता ” बस रंगों का त्योहार है होली “


रचनाकार का परिचय

रामबृक्ष कुमार

यह कविता हमें भेजी है रामबृक्ष कुमार जी ने अम्बेडकर नगर से।

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