Holi Poem In Hindi – सुन्दर लाल डडसेना “मधुर” जी की होली पर कविता ” समझ लेना होली है “

Holi Poem In Hindi
होली पर कविता

Holi Poem In Hindi

हर इंसान अपने रंग में रंगा हो
तो,समझ लेना होली है।
हर रंग कुछ कहता ही है,
हर रिश्ते में हँसी ठिठोली है।

जीवन रंग महकाती,
आनंद उमंग उल्लास से।
जीवन महक उठता है,
एक दूसरे के विश्वास से।

प्रकृति की हरियाली,
मधुमास की राग है।
नवकोपलों से लगता,
कोई लिया वैराग्य है।

हर गले शिकवे को मिटा दो,
फैलाओ ये प्रेम रूप झोली है।
हर इंसान अपने रंग में रंगा हो
तो,समझ लेना होली है।

आग से राग तक,
राग से वैराग्य तक।
चलता रहे यूँ ही,
परंपरा ये फाग तक।

होलिका दहन की आस्था,
युगों युगों से चली आ रही।
आग में चलना,राग में गाना,
प्रेम की गंगा जो बही।
परंपरा ये अनूठी,

होती कितनी हर किसी से
हँसी ठिठोली है।
हर इंसान अपने रंग में रंगा हो
तो,समझ लेना होली है।

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रचनाकार का परिचय

सुन्दर लाल डडसेना "मधुर"

यह कविता हमें भेजी है सुन्दर लाल डडसेना “मधुर” जी ने ग्राम-बाराडोली(बालसमुंद),पो.-पाटसेन्द्री तह.-सरायपाली,जिला-महासमुंद (छ. ग.) से।

नाम – सुन्दर लाल डडसेना”मधुर”
पिता– श्री जलधर डडसेना
शिक्षा – एम.ए.(हिन्दी,अर्थशास्त्र,इतिहास), पीजीडीसीए,डी.एड.
व्यवसाय – सहा.शिक्षक(एल.बी.)
साहित्य सेवा (विवरण) – पत्र पत्रिकाओं में रचनाएँ,कविताएं व लेख प्रकाशित,
साझा संकलन- मातृभूमि,पहल एक नई सोच,कलाम,आर्यावर्त,नया गगन,साहित्य सरोवर लाडो,जननायक,सरस्वती, कविता के संगम पर,चमकते कलमकार भाग2,वृक्ष लगाओ वृक्ष बचाओ,शब्द सारथी,चलते चलते,साहित्य लहर,रंग दे बसंती में कवितायें संकलित।

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