डॉ. एकांत नेगी जी द्वारा रचित हिंदी कविता मेरी दीवानगी –

हिंदी कविता मेरी दीवानगी

हिंदी कविता मेरी दीवानगी

हमारी दीवानगी का उन पर हुआ ये असर है,
इश्क़ का हर रंग उन पर हुआ अब बेअसर है
जिंदगी से भी ज्यादा चाहने लगे हैं हम जिनको
उनको नहीं मालूम मगर दुनिया को ये खबर है

जहाँ पड़े कदम तुम्हारे मदहोश हुआ वह शहर है
जिस डगर तुम ले चलो अब हमारी वही डगर है
हुस्न की इंतज़ार में दुल्हन-सी सजी हर मधुशाला
सारे इंतज़ाम हैं यहाँ बाकी इक तुम्हारी कसर है

तुम्हारी इक मुस्कान से गुलज़ार हुआ हर पहर है
इश्क़ के नाम पर पिलाया तुमने कैसा ये ज़हर है
गुज़ारिश है जाने से पहले इतना तो बतलाते जाना
अपने चाहने वालों पर ढाया तुमने कैसा ये कहर है

तुमको पाने की चाहत में बर्बाद हुआ हर नगर है
हमारी हो ना सकी दिल में टीस आज भी मगर है
हर मौसम में हर तरफ होती सिर्फ तुम्हारी ही चर्चा
उदास बहारें फिर महकेंगी साथ तुम्हारा अगर है

कहीं इतराये शाम गुलाबी कहीं इठलाती सहर है
तुम बिन इस जिंदगी की होती नहीं अब बसर है
वीराने खंडहर भी अब इश्क़ की बातें करने लगे हैं
दुनिया कहती हमारी दीवानगी का हुआ ये असर है

पढ़िए :- प्रेम भरी कविता “ मुझसे दूर न जाना ”


रचनाकार का परिचय

यह कविता हमें भेजी है डॉ. एकांत नेगी जी ने।

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