Phool Ki Abhilasha Kavita | फूल की अभिलाषा कविता |

Phool Ki Abhilasha Kavita - आप पढ़ रहे हैं फूल की अभिलाषा कविता :- Phool Ki Abhilasha Kavitaफूल की अभिलाषा कविता फूल हूँ मैं छोटा सा,यही मेरे जीवन की परिभाषा है।देवों के चरणों में चढ़ जाऊं,मेरे जीवन की छोटी सी अभिलाषा है। चाह नहीं मुझे की मैंगहने में गूँथा जाऊ,चाह नहीं सुन्दर नारी बन,स्वयं पर इठलाऊँ।उन पावन…

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सकारात्मक सोच पर कविता | Sakaratmak Soch Par Kavita

सकारात्मक सोच पर कविता सोच ऐसी राखिए, सब आपसे स्नेह बनाए , सबके साथ मिल जुलकर आप मार्ग दर्शक बनजाए , हम हमेशा खुश रहे और दूसरों को भी खुश कर पाए, हम किसी को उठा न सके तो उसे गिराया भी न जाए।। हम जानते है कि, न सबको…

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जलियांवाला बाग पर कविता | Jallianwala Bagh Par Kavita

Poem On Jallianwala Bagh In Hindi - हत्याकांड से आहत जलियांवाला बाग कैसे अपना दर्द बयां कर रहा है पढ़िए जलियांवाला बाग पर कविता :- जलियांवाला बाग पर कविता लाख जनों के हृदयों में,सुलग रही एक आग हूँ।भारत माँ के चरणों में मै,जलता हुवा चिराग हूँ।निर्दोषों के रक्त से लथ-पथ,जिसकी…

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हिंदी कविता : ग़ज़ल की कहानी | Kavita Ghazal Ki Kahani

हिंदी कविता : ग़ज़ल की कहानी वक्त की उगलती आग गज़ल, तब होती बाग ओ बाग गज़ल। ईरान से लेकर आई है, भारत में ये बैराग गज़ल। कई साल लगाते हैं शायर, तब बनती है बेदाग़ गज़ल। अश्कों का दरिया आंखों में, दे जाता एक चराग गज़ल। उर्दू की है…

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जोश भरी कविता | Josh Kavita In Hindi

जोश भरी कविता - आप पढ़ रहे हैं जोश भरी कविता - प्रबल इच्छा ने जब ललकारा :- Josh Kavita In Hindiजोश भरी कविता प्रबल इच्छा ने जब ललकारापिया मैने तब संकल्प का प्याला,विफल हुआ हूं नहीं मै हाराआलस को अब जीवन से टाला। आराम नहीं अब करना हैनिरंतर चलते रहना है,जैसे सरिता सागर से मिलतीवैसे मुझको भी बहना…

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हास्य कविता : लाइब्रेरी और राजनीति | Hasya Kavita

हास्य कविता : लाइब्रेरी और राजनीति अखबार में पढ़ा कि बंदरों ने किताबें फाड़ दी एक लाइब्रेरी में, समझ नहीं पाया, ये काम सही समय पर हुआ या देरी में। क्या बंदरों ने ये सोचा कि ये बेमतलब में किताबें छपाई क्यों, और अगर पढ़ना ही नहीं था तो लाइब्रेरी…

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ग़ज़ल – भूलने में ज़माने लगे हैं | Ghazal Zamane Lage Hain

ग़ज़ल - भूलने में ज़माने लगे हैं रक़ीबों से निस्बत बढ़ाने लगे हैं दिलो-जान उन पर लुटाने लगे हैं वो फिर से पलटकर क्यूँ याद आए जिन्हें भूलने में ज़माने लगे हैं। रक़ाबत के मारे ये हमजाम याराँ हमें महफ़िलों से उठाने लगे हैं न दिन में तसल्ली न शब…

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हास्य कविता : कोरोना और आप | Hasya Kavita Corona

कोरोना के समय में तनाव को कम करने और चेहरे पर मुस्कान लाने वाली हास्य कविता : कोरोना और आप - हास्य कविता : कोरोना और आप आप इस धरती के सबसे शक्तिशाली जीव हैं, ये बात आप अच्छी तरह से जानते हैं, ये बात और है कि आपके परमशत्रु…

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देशभक्ति कविता : हिंद की ओर | Desh Bhakti Kavita

देशभक्ति कविता : हिंद की ओर सहज-सहज, प्रभु को सिमर-सिमर। पग चले, प्रगति स्वर्ण, हिंद की ओर। धूमिल न हो राष्ट्र, छवि, विश्व पटल पर। चले सर्वत्र क्षण, स्वच्छता का उपक्रम। क्षण-क्षण, सदन-कुंज में हो प्रेम सदा। धीमें से चले, पग हिंद, उत्थान की ओर। प्रभु में विलीन हो, सर्व…

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प्रकृति वर्णन पर कविता | Prakriti Soundarya Par Kavita

प्रकृति वर्णन पर कविता झर-झर, झर झर, निर्झर, निशा नीर गिरे। कल-कल, करतल ध्वनि, तरंगिनी करें। चारू-चंचल, किरणें, मधुर समीर बहें। मृदु भूमि, शशी पूर्ण चांदनी सलील लगे।। झर-झर, झर-झर, झरने, रह, रह मधु नीर बहें। भूधर, उपवन, विचरण कर, सिंह शूर हिंद खड़े। सहज, समीर, सिमर प्रभु को वृक्ष…

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सुबह पर कविता :- एक दीप जलाकर | Subah Par Kavita

सुबह पर कविता प्यारा सा एक दीप जलाकर आंगन को रोशन कर डाला, तम के सहचर डर कर भागे जब लुप्त हुआ अँधेरा काला। भटके पथिकों को राह मिली यामिनी ने सिर पे घूंघट डाला, शांत बच्चों ने किया कोलाहल क्षण में छाया समक्ष उजाला। विहंगों को सन्देश सा हुआ…

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आओ सूरज का आहवान करें – कोरोना मुक्ति पर कविता

आप पढ़ रहे हैं - कोरोना मुक्ति पर कविता " आओ सूरज का आहवान करें " :- आओ सूरज का आहवान करें आतंकित है मनुष्य काेराेना के भय से आक्राेसित है विश्व अनचाहे त्रास से चूर हाे गया घमण्ड अधिनायकाें का हे! प्रकट हाे अशिम उर्जा बन दिव्यज्याेति अहिंसा की…

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