Phool Ki Abhilasha Kavita | फूल की अभिलाषा कविता |

Phool Ki Abhilasha Kavita – आप पढ़ रहे हैं फूल की अभिलाषा कविता :-

Phool Ki Abhilasha Kavita
फूल की अभिलाषा कविता

Phool Ki Abhilasha Kavita

फूल हूँ मैं छोटा सा,
यही मेरे जीवन की परिभाषा है।
देवों के चरणों में चढ़ जाऊं,
मेरे जीवन की छोटी सी अभिलाषा है।

चाह नहीं मुझे की मैं
गहने में गूँथा जाऊ,
चाह नहीं सुन्दर नारी बन,
स्वयं पर इठलाऊँ।
उन पावन चरणों को छूकर,
चरण रज बन जाऊं,
इतनी सी बस इच्छा है
और यही परिभाषा है,
मेरे जीवन की छोटी सी अभिलाषा है।

देवों की गाथा मैं गाऊं,
वेदी पर उनके चढ़ जाऊं,
और अपने इस अल्प जीवन को,
सत् कर्मो से सफल बनाऊं।
महक उठे जिससे सब जग
यही मेरी जिज्ञासा है,
मेरे जीवन की छोटी सी अभिलाषा है।

देवों के चरणों मे मेरा
जीवन समर्पित हो,
बस इतनी अभिलाषा है,
देवों के चरणों में चढ़ जाऊं,
मेरे जीवन की छोटी सी अभिलाषा है।

पढ़िए :- मेरी अभिलाषा पर कविता | जीवन की कामना बताती कविता


प्रकाश रंजन मिश्र

नाम :- प्रकाश रंजन मिश्र
पिता :- श्री राज कुमारमिश्र
माता :- श्रीमती मणी देवी
जन्मतिथि :- 05/05/1996
पद-: सहायकप्राध्यापक, वेद-विभाग(अ.), राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान जयपुर परिसर, जयपुर (राजस्थान)
अध्यायन स्थल-: श्रीसोमनाथसंस्कृतविश्वविद्यालय,वेरावल, (गुजरात)
आर्षविद्या शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान वेद विद्यालय मोतिहारी (बिहार)
वेद विभूषण वेदाचार्य(M.A), नेट, गुजरात सेट, लब्धस्वर्णपदक, विद्यावारिधि(ph.d) प्रवेश
डिप्लोमा कोर्स :- योग, संस्कृतशिक्षण,मन्दिरव्यवस्थापन,कम्प्युटर एप्लिकेशन।
प्रकाशन :- 7 पुस्तक एवं 15 शोधपत्र,10 कविता
सम्मान :- ज्योतिष रत्न, श्री अर्जुन तिवारी संस्कृत साहित्य पुरस्कार से सम्मानित

स्थायीपता :- ग्राम व पोस्ट – डुमरा, थाना -कोटवा ,जिला- पूर्वी चंपारण (बिहार)

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