आप पढ़ रहे हैं हनुमान जी पर कविता :-
हनुमान जी पर कविता
जय हनुमान ज्ञान के सागर,
कृपा करो हे कष्ट के नाशक,
पवनतनयअंजनी के लाला,
श्रीरामजी की सेवा
ही है काम तुम्हारा।
बल बुद्धि के तुम हो स्वामी
कृपा करो हे जग के स्वामी।
ज्ञान शक्ति के तुम हो दाता
दुखियों के तुम भाग्यविधाता
तुम लक्ष्मण के प्राण बचाए
पूंछ से अपनी लंका को जलाए
हम सब करे गुण गान तुम्हारा
कष्टभंजन करो कल्याण हमारा।
मंगलमूरति करुणा के सागर,
सब जग में हो तुम्हीं उजागर,
भक्तों को भवसागर से
राम नाम जप तुमने उभारा
श्रीरामजी की सेवा
ही है काम तुम्हारा।
पढ़िए :- भगवान राम पर कविता “श्रीराम कहलाते”
नाम :- प्रकाश रंजन मिश्र
पिता :- श्री राज कुमारमिश्र
माता :- श्रीमती मणी देवी
जन्मतिथि :- 05/05/1996
पद-: सहायकप्राध्यापक, वेद-विभाग(अ.), राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान जयपुर परिसर, जयपुर (राजस्थान)
अध्यायन स्थल-: श्रीसोमनाथसंस्कृतविश्वविद्यालय,वेरावल, (गुजरात)
आर्षविद्या शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान वेद विद्यालय मोतिहारी (बिहार)
वेद विभूषण वेदाचार्य(M.A), नेट, गुजरात सेट, लब्धस्वर्णपदक, विद्यावारिधि(ph.d) प्रवेश
डिप्लोमा कोर्स :- योग, संस्कृतशिक्षण,मन्दिरव्यवस्थापन,कम्प्युटर एप्लिकेशन।
प्रकाशन :- 7 पुस्तक एवं 15 शोधपत्र,10 कविता
सम्मान :- ज्योतिष रत्न, श्री अर्जुन तिवारी संस्कृत साहित्य पुरस्कार से सम्मानित
स्थायीपता :- ग्राम व पोस्ट – डुमरा, थाना -कोटवा ,जिला- पूर्वी चंपारण (बिहार)
( Hanuman Ji Par Kavita ) “ हनुमान जी पर कविता ” के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे लेखक का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।
यदि आप भी रखते हैं लिखने का हुनर और चाहते हैं कि आपकी रचनाएँ हमारे ब्लॉग के जरिये लोगों तक पहुंचे तो लिख भेजिए अपनी रचनाएँ hindipyala@gmail.com पर या फिर हमारे व्हाट्सएप्प नंबर 9115672434 पर।
हम करेंगे आपकी प्रतिभाओं का सम्मान और देंगे आपको एक नया मंच।
धन्यवाद।
Leave a Reply