Emotional Hindi Poem on Loneliness – रात की ख़ामोशी, धुँध में ढका आसमान, और दिल में ठहर गया एक अधूरा इंतज़ार—इन्हीं एहसासों के बीच जन्म लेती है यह कविता। यह एक ऐसे दिल की दास्ताँ है जो यादों की धुंध में भटक रहा है, जिसकी हर साँस में किसी अपने की खुशबू बस गई है, और जिसका हर कदम अकेलेपन की गूँज से टकराता है। इन्हीं टूटे सपनों, दबे दर्दों और बुझती उम्मीदों के बीच यह कविता हमें उस गहरी ख़ामोशी तक ले जाती है जहाँ दिल अपने ही सवालों में उलझा खड़ा है। आइए, इस दर्दभरी यात्रा में साथ चलें और महसूस करें उस रात की सिहरन जिसमें हर धड़कन एक कहानी कहती है।
Emotional Hindi Poem on Loneliness

सूरज छुपा धुँध के पीछे,
आँखों में ठहरा आसमान।
इस अकेलेपन की रात में,
दिल ढूँढ रहा तेरे निशाँ।
शहर सो गया, नींद के आगोश में,
मेरा जहाँ बस तेरी यादों में सिमटा।
चीख़ रहा अंदर सन्नाटा,
बाहर का मौसम बदला।
हर साँस में बस तेरी खुशबू ,
हर धड़कन पे तेरा पहरा।
सन्नाटों में तेरा साया,
नींद के आगोश में,
शहर समाया ।।
धुंधले हुए हैं रास्ते सारे,
कैसे ढूँढूँ मैं अपनी डगर ?
खो गए हैं सारे सहारे,
कहाँ ले जाएगा यह सफ़र ?
ख़ामोशी ने शोर मचाया,
दिल ने फिर खुद से की उलझन।
टूटे सपनों की राख तले,
दबी हुई है मेरी चुभन।
क्यों थम न जाता ये जीवन,
थक-सा गया हर एक क्षण।
चाँद भी आज बादलों का,
ओढ़कर आया है कफ़न।
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रचनाकार का परिचय

यह कविता हमें भेजी है बाल कृष्ण मिश्रा जी ने फ़्लैट नंबर 253, भूतल, श्री कृष्ण अपार्टमेंट, जे-2, सेक्टर 16, रोहिणी, नई दिल्ली से।
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