हम सब की जिंदगी में कभी-कभी कोई ऐसा इन्सान आता है जो हमें पूरी तरह बदल देता है। इस बात को हम किसी एक क्षेत्र से नहीं जोड़ सकते। बदलाव कहीं भी हो सकता है। पढाई में, खेल कूद में, या फिर प्रेम में। ऐसी ही एक घटना जिसमें एक इंसान को बदल कर कोई दूर चला गया है। उसके बाद की स्थिति के बारे में बताती बेहतरीन हिंदी कविता – बदलकर हमें ( Hindi Kavita Badal Kar Humen ):-

हिंदी कविता – बदलकर हमें

हिंदी कविता - बदलकर हमें

राहों में इस कदर हम भटक गए
कि मंजिल क्या थी वो भूल गए
पिलाकर प्रेम रस गंगाजल कर दो
जुदा होकर मिट्टी से क्यूँ घुल गए।

देखो जमाने की अदा, सिखाकर
दोस्ती की अहमियत गैर हो गए।
आये थे अपनी आह सुनाने लेकिन,
जनाब जमाने की वाह वाह में खो गए।

काबिलियत मोहताज है दौलत की
वरना कई आये और चल दिये।
आपकी प्रतीक्षा में ही कविता बनी
और हमारे भी कई पल बीत गए।

मौत ही है अब मेरा इंतजार करती है
बाकी तो इंतजार करके थक गए।
कस्तूरी मृग नाभि से अनभिज्ञ नहीं पर
घमंड न हो इसलिए इधर-उधर भटक गए।

पढ़िए :- हिंदी प्रेम कविता “मुझसे दूर न जाना”


सारिका अग्रवाल यह कविता हमें भेजी है सारिका अग्रवाल जी ने जो कि बिरतामोड, नेपाल में रहती हैं।

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