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कविता अपने आँचल की ममता

कविता अपने आँचल की ममता

अपने आँचल की ममता मेरे सिर धरो।
मैया नश्वर है तन इसको पावन करो।।

आस बरसों से दिल में लगा के रखी
इक दिन घर को हमारे माँ आयेगी तु,
तेरी ममता की छाया मिलेगी हमें
आके बच्चों को अपने संभालेगी तु,
कामना अब हमारी माँ पूरी करो
पाक चरणों को अपने मेरे घर धरो।।

अपने आँचल की ममता मेरे सिर धरो।
मैया नश्वर है तन इसको पावन करो।।

तेरे दर्शन को जो भक्त आयेंगे माँ
उनके जीवन सफल हो जायेंगें माँ,
नैन राहों में तेरे बिछाये खड़े
तेरे दर्शन से तीरथ हो जायेंगें माँ,
दर्श देकर माँ नैनों की तृष्णा हरो
पाक चरणों को अपने मेरे घर धरो।।

अपने आँचल की ममता मेरे सिर धरो।
मैया नश्वर है तन इसको पावन करो।।

वेदों ग्रथों के सच को ना झुठला रही माँ
दुर रहके भी बच्चों को सहला रही माँ,
जिनपे हो जाती किरपा तेरे आशीष की
रख चरणों में भक्ति से नहला रही माँ,
अब तो स्वीकार विनती हमारी करो
पाक चरणों को अपने मेरे घर धरो।।

अपने आँचल की ममता मेरे सिर धरो।
मैया नश्वर है तन इसको पावन करो।।

तेरी महिमा से हमको सदा सुख मिले
फूल खुशीयों के तेरी दया से खिले,
सबके चेहरे पे मुस्कान तुझी से है माँ
सारी लाचारी तेरी कृपा से टले,
अब जरुरत हमारी भी पूरी करो,
पाक चरणों को अपने मेरे घर धरो।।

अपने आँचल की ममता मेरे सिर धरो।
मैया नश्वर है तन इसको पावन करो।।

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