हिन्दी कविता एक सपना

हिन्दी कविता एक सपना

एक सपना मैं भी बुनता हूँ ।
अपने सपनों की चहा मैं हम
उड़े जा रहे है , गिरे जा रहे ।
अपने रिश्तों को हम खोए जा रहे हैं
हम सपने बुनते जा रहे है ।

सपनों की चाह में हम
धीरे- धीरे मिटते जा रहे है ।
उम्मीदों पर हम टिकते जा रहे है ।
बढ़ते जा रहे है चलते जा रहे है ।

अपनी दुनिया , बनाने लेकिन
इस दुनिया मैं ही उलझे जा रहे है
पलभर सपनों की तलाश में ,
कुछ के अपने खो जा रहे ,
ओर हम अपने से ही खोए जा रहे ।

सपनो को दुनियां में हम जिए जा रहे है
हजारों उलझनों में हम उलझे जा रहे।
इन रंगबिरंगे सपनो मैं हम डूबे जा रहे है।
हम जिए जा रहे है मरे जा रहे है।

अपने सपनों की चहा मैं हम उड़े जा रहे हैं,
हम सपने बुनते जा रहे है।

पढ़िए :- एकल जीवन है एक संघर्ष


रचनाकार का परिचय

हर्षुल ललेरिया

यह कविता हमें भेजी है हर्षुल ललेरिया जी ने मंतौड़ी. मुजफ्फरनगर ( उत्तर प्रदेश ) से।

“ हिन्दी कविता एक सपना ” ( Hindi Kavita Ek Sapna ) आपको कैसी लगी ? “ हिन्दी कविता एक सपना ” के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे लेखक का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।

यदि आप भी रखते हैं लिखने का हुनर और चाहते हैं कि आपकी रचनाएँ हमारे ब्लॉग के जरिये लोगों तक पहुंचे तो लिख भेजिए अपनी रचनाएँ hindipyala@gmail.com पर या फिर हमारे व्हाट्सएप्प नंबर 9115672434 पर।

हम करेंगे आपकी प्रतिभाओं का सम्मान और देंगे आपको एक नया मंच।

धन्यवाद।

This Post Has One Comment

  1. Avatar
    Nikhil

    v nice dil ko chu Rahi hai sir aapki ye poem

Leave a Reply