पिता पर कविताएं ( 4 Poems On Fathers Day In Hindi ) में आप सबके लिए प्रस्तुत हैं पिता पर शानदार कविताएं (Pita Par Kavita )। तो चुनिए अपनी मनपसंद की कविता और समर्पित कीजिये अपने पिता को। तो आइये पढ़ते हैं अमिता रवि दूबे जी की पिता दिवस पर पिता पर 4 सुंदर कविताएं –

पिता पर कविताएं

पिता पर 4 सुंदर कविताएं

पिता पर कविताएं – पिता हमारी संस्कृति

पिता हमारी संस्कृति और हैं संस्कार।
हम भारतीय मानते हैं पिता को आधार।
पाश्चात्य परम्परा में पिता से परिवार विमुख।
अलग-अलग माता-पिता अब बच्चे पाएं ना सुख।

हमारे देश ब्रम्ह पिता,पिता से सन्सार
पिता हमारी संस्कृति और हैं संस्कार।।

माँ की भूमिका महति वैसी पिता प्रमुख।
माँ आँचल सुख तो पिता प्रेरणा रूप।।

पिता हमारे स्वाभिमान का देते है उपहार।।
पिता हमारी संस्कृति और जीवन संस्कार।।

जीवन चिंन्तन ,मार्गदर्शक होते है पालक।
सिर पर स्नेह का हाथ रखते है अभिभावक।।

हम अपने पिता पुत्रतुल्य पाते है अधिकार।
पिता हमारी संस्कृति और जीवन संस्कार।।


पिता पर कविताएं – पिता बिना कहाँ परिवार

घर पिता हमारे जीवन अरमान
छोटी बड़ी इच्छा का होता मान

माँ समान की सूची थमाती जब
मुन्नी की पसन्द का है यह सब

खेल खिलौने रेल गाड़ी सपने
पँखलगाकर मिलता है उड़ने

जिस घर पिता नही रहते हैं
बच्चों के आँसू वहाँ बहते हैं।

भीतर-भीतर रोती माँ चुपचाप
पिता बिना जीवन अभिशाप

जिसके सिर पर वटवृक्ष का न छाँव
वह परिवार टूटता पिता प्रेम अभाव।।

मात-पिता के कारण ही कुटुम्ब परिवार
सारे रिश्तेबन्द आपसी व्यवहार

सुन्दर जीवन बगिया का माली
वैसा ही होता मानव संस्कार

भाई बहन आदर और सम्मान
छोटे बड़े सभी के प्रति भाव ज्ञान

संबोधन रिश्ता स्नेह प्रणाम सभी
यह गुण भण्डार यही है परिवार।

मौन हिमालय मेरे पिता शिवालय
माँ करुणा ममता जैसे गंगाजल

पिता ही जीवन नीव, पिता ही आधार
बिना परिवार यह जीवन निराधार।।

पढ़िए :- पिता का दर्द बयां करती दो लाइन शायरी संग्रह


3. पिता परिवार (मनहरण घनाक्षरी छन्द)

सुख जीवन आधार
मिले सगुण संस्कार
वही होता परिवार
जीवन सजाइये।

पाठशाला मनुहार
ज्ञान मिलता अपार
अमित प्रेम सन्सार
ह्रदय समाइये।

पिता पुत्र अधिकार
माँ ममता अति प्यार
प्रेम प्रीत तकरार
सदा ही मनाइये।

रिश्ते पावन व्यवहार
करिये बस विचार
जग जीवन का सार
सदा ही निभाइए।


 4. माता -पिता

मात पिता बिना सब निराधार
जगत सुख छाया है परिवार

जिस आँगन घर मे
ममता मन बरसे
उस घर के प्राणी
मन उपवन सरसे

सहज सुख जीवन है साकार
जगत सुख छाया हैपरिवार।।
भटकता जो घर से
सदा फिरता व्याकुल
बिना प्रेम बंधन मन
प्रतिपल करे आकुल।

अरे जग ढूँढ मत यही है स्वर्गद्वार
जगत सुख छाया है परिवार।।

पढ़िए :- पिता के ऊपर कविता “आंसूओं को हमारे”


नाम -अमिता रवि दुबे
पति का नाम -रवि दुबे
शिक्षा- एम ए हिंदी 2 एमए समाजशास्त्र साहित्य रत्न
रुझान रचात्मक- लेखन संचालन, अभिनय वक्ता
विधा- गद्य पद्य दोनों, हिंदी छत्तीसगढी
आकाशवाणी रायपुर जगदलपुर दूरदर्शन से प्रसारण
प्रसारण देश अनेक पत्रपत्रिकाओं में
संस्थागत प्रकाशन-कार्यक्षेत्र समाज सेवा शिक्षा बाल पत्रकारिता पर्यायवरण आदि

सम्मान पुरस्कार- 1978 आकाशवाणी युवा कलाकार सम्मान
क्रमशः सर्वश्रेष्ठ छात्रा सम्मान महाविद्यालय एवम पुरस्कार
महादेवी सम्मान
अखिल भारतीय मीनी माता सम्मान
लेखन सम्मान
रचनाकार सम्मान
सृजन सम्मान
अभव्यक्ति सम्मान
साहितयभूषन सम्मान
पुनः महादेवी सम्मान
देश भर की संस्थाओं से समय समय पर प्रोत्साहन , सम्मान पुरस्कार
बाल पत्र-कारिता के लिये प्रादेशिक सम्मान पुरस्कार
महाविद्यालय में हिंदी अध्यापन स्नात्तकोत्तर तक सेवा
वर्तमान में रुचि नुसार समय समय पर जनहितार्थ कार्यक्रम में संलग्न

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