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आदमी पर हिंदी कविता

आदमी पर हिंदी कविता

आदमी है जो  सबको हॅंसाता रहे
खुद भी हॅंसता रहे मुस्कराता रहे। 

दूर कर दे हर दुखड़े हॅंसी प्यार से
जीत ले सारी मुश्किल सदाचार से 
लाख बाधाएं आए उसे भूल कर 
आगे बढ़ते कदम को बढ़ाता रहे,

आदमी है जो सबको हॅंसाता रहे
खुद भी हॅंसता रहे मुस्कराता रहे। 

बदले मौसम फिजाएं भले वादियां
छाए घहराए बादल या बिजलियां
हार में जीत में हर परिस्थितियों में
होकर मदमस्त जो खिलखिलाता रहे,

आदमी है जो सबको हॅंसाता रहे 
खुद भी हॅंसता रहे मुस्कराता रहे। 

मार्ग सत्य पर चले सत्य को ही सुने 
खुद के अधरों पे मधुरस वाणी चुने
चाहता हो उजाला हृदयों में सभी 
ज्ञान का दीपक सबमें जलाता रहे 

आदमी है जो सबको हॅंसाता रहे
खुद भी हॅंसता रहे मुस्कराता रहे। 

बन निडर राह में होकर आगे सदा 
कंटकों पर चले होके खुद पर फिदा
भाव भर भर जनों में सच्चे प्यार का 
राग मन में सदैव गुनगुनाता रहे

आदमी है जो सबको हॅंसाता रहे
खुद भी हॅंसता रहे मुस्कराता रहे। 

पढ़िए :- आदमी पर कविता | आदमी अकेला है | Aadmi Par Kavita


रचनाकार का परिचय

रामबृक्ष कुमार

यह कविता हमें भेजी है रामबृक्ष कुमार जी ने अम्बेडकर नगर से।

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