Deepawali Par Kavita | दीपावली पर कविता | Best Poem On Diwali In Hindi

Deepawali Par Kavita – आप पढ़ रहे हैं दीपावली पर कविता :-

Deepawali Par Kavita
दीपावली पर कविता

Deepawali Par Kavita

बन जुगनू जगमग कर जाएं।
आओ मन का दीप जलाएं।।

भेद भाव की छोड़ बुराई
भर मन में अपने अच्छाई,
दिल में जो अंधकार भरा है
दीपक दिल में बुझा पड़ा है,

दिल से नफ़रत द्वेष मिटाएं।
आओ मन का दीप जलाएं।।

दीप जलाना एक बहाना
साथ खड़े हो प्रेम निभाना,
हाथ बांध कर एक पंक्ति में
सारा जग जगमग कर जाना ,   

लता- बेल सा हम बन जाएं।
आओ मन का दीप जलाएं ।।

कोना कोना गांव देश का
जाति धर्म का वर्ण वेश का,
मिल रंगों सा बन रंगोली
लाल गुलाबी नीली पीली,

स्नेह प्यार का नेह जगाएं।
आओ मन का दीप जलाएं।।

फोड़ पटाखा चकाचौंध में
घर घर लक्ष्मी पूजी जाती,
बिच्छू गोजर सांप छछूंदर
मंत्र जाप खूब की जाती,

सोंच समझ का ज्ञान बढ़ाएं।
आओ मन का दीप जलाएं।।

देखो ढूढ़ो ऐसे बच्चें
भूखे प्यासे रोते सोते,
बेसहारा जीवन जीते!
क्या दीवाली ऐसे होते?

उनकी खुशियां वापस लाएं ।
आओ मन का दीप जलाएं।।

दीपक बाती सा जीवन में,
रिश्ता क़ायम हो मन मन में,
शिकवा गिला भूल भुला कर,
शीश नवाकर गले लगाकर,

मन मुटाव मत भेद मिटाएं।
आओ मन का दीप जलाएं।।

पढ़िए :- दीपावली पर कविता “अँधियारा है मिटाना”


रचनाकार का परिचय

रामबृक्ष कुमार

यह कविता हमें भेजी है रामबृक्ष कुमार जी ने अम्बेडकर नगर से।

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