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सरदार वल्लभ भाई पटेल पर कविता

सरदार वल्लभ भाई पटेल पर कविता

लौह सा टंकार लेकर
सिंह सा ललकार लेकर
नाद  भरते  गर्जना  का
अग्नि  सा धधकार लेकर,

 जी रहे जब लोग तिल तिल
मर  रहे  थे  लोग फिर फिर
आ   मसीहा  बन  खड़े  थे4
हिंदुस्तानी शान लेकर। 

थे  एक  सरदार  मन  का
लौह पुरुष आवाज जन का
चल   पड़े  अधिकार  लाने
एकता   अभियान   लेकर

क्या  गरीबी  क्या किसानी
एकता   की   वह   जबानी
ला   दिया  भूचाल  मन  में
आजादी वरदान लेकर। 

बांध  कर  एक सूत्रता में
अनेकता  को हएकता में 
फिर दिखाया राष्ट्र हित को
एकता   का  ज्ञप्यार  देकर

राष्ट्र  के  निर्माणज्ञ में फिर
राष्ट्र  का  आह्वान  है फिर
आप  के  ही  कर्म से हम
जी  रहे  अभिमान  लेकर,

आन बान शान लेकर
नव नवल प्रणाम लेकर
राष्ट्र भी गौरवान्वित है
आप का ही नाम लेकर। 

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रचनाकार का परिचय

रामबृक्ष कुमार

यह कविता हमें भेजी है रामबृक्ष कुमार जी ने अम्बेडकर नगर से।

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