Bhagat Singh Poetry In Hindi – आप पढ़ रहे हैं भगत सिंह पर कविता ( Bhagat Singh Par Kavita ) :-

Bhagat Singh Poetry
भगत सिंह पर कविता

Bhagat Singh Poetry

तुम भगत थे आजादी के
डूब के आजादी के भक्ति में
जीवन का रस भूल गए,
खौफ और मोह को ताक पर रखकर
फांसी के फंदे झूल गए।

देश को सब कुछ मान के तुम
खुद को उस पर वार गए,
खुद के आज को ताक पर रखकर
भविष्य हमारा तार गए।

तुम खुद को अर्पण करने वाले
खुद ,खुद का तर्पण करने वाले,
छोटे से जीवन में कई जीवन जीकर
हमको दर्पण दिखा गए।

तेरे रक्त के कतरे कतरे में
सच्चा प्रेम प्रखर होता था,
अब कुछ है तो बस आजादी कहकर
कण-कण देश का जगा गए।

जिस आजादी के तुम आशिक थे
वह जीते जी मिल ना सकी,
उसका सपना आंखों में भर कर
तुम मृत्यु वधु को वर ले गए।

फिर आकर इन बगुला भक्तों को
नेता का मतलब समझा दो,
जो महिषासुर बन बैठे हैं और
देश ही सारा निगल गए।

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रचनाकार का परिचय

यह कविता हमें भेजी है राखी जैन जी ने अम्बेडकर नगर से।

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