कोरोना पर दो कविताएं
कोरोना को हराना है
हर घर में यहीं नारा है,
कोरोना को हराना है।
इसने कैसा चक्कर चलाया,
बड़े बड़ों को घर में बैठाया,
अब इसको भी भागना है,
फिर से घूमने जाना है।
थाली से सब्जी गायब ,
मुंह से पान और मावा गायब,
महंगा दौर जमाना हैं,
फिर से पनीर पापड़ खाना है।
कोरोना को हराना है।।
हमसे तुम डरो ना
ऐ कोरोना हमसे तुम डरो ना
हम चीन नहीं हम पाक नही,
हम भारत के नवाब है।
मेरा कुछ नहीं जायेगा,
तेरा काम तमाम हैं।
जहां मोदी जैसे मंत्री,
और डाक्टर मेरे भगवान हैं।
वहां तू क्या कर पायेगा,
जहां चौबीस घण्टे पुलिस तैयार है।
ऐ कोरोना हमसे तुम डरो ना।।
पढ़िए :- हिंदी कविता “जिसका नाम कोरोना है”
यह कविता हमें भेजी है ऋचा पांडे जी ने मुंबई से।
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