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गन्दी राजनीति पर कविता

आजकल नेताओं में,
लुटाने की होड़ मची है।
कोई आ रहा इधर को,
कोई भागता उधर को है
ऐसा लगता है जैसे,
गधों में घुड़दौड़ मची है।
आजकल नेताओं में …….।

BJP भगवा पर अड़ी है,
साईकल भी तैयार खड़ी है
हाथी पर देखो माया है,
हाथ का हुआ सफाया है
सियासत के समर में देखो,
भारी तोड़ -फोड़ मची है।
आजकल नेताओं में …….।

कोई बिजली लुटा रहा है,
कोई राशन लुटा रहा है
सियासत का आका बनने,
हरेक संसाधन जुटा रहा है
चुनावी गणित में भाई,
सीटों की घटा-जोड़ मची है।
आजकल नेताओं में……..।

शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार,
ये सब वायदे अधूरे हैं
जनता को लूट खाने में,
सब होशियार पूरे हैं
विकास अधमरा पड़ा है,
उधड़ी हुई रोड़ बची है।
आजकल नेताओं में……..।

बाप का राज समझकर,
लुटा रहे सम्पत्ति को
मूर्ख जनता देखती नहीं,
भविष्य की विपत्ति को
अबकी बार वोट मांगने,
आना नहीं द्वार मेरे,
“जग्गा” के हाथों में अब,
लोहे की रॉड बची है।
आजकल नेताओं में……।

आजकल नेताओं में,
लुटाने की होड़ मची है।।

पढ़िए :- ” लाइब्रेरी और राजनीति ” हास्य कविता


रचनाकार का परिचय

जगवीर सिंह चौधरी

यह कविता हमें भेजी है जगवीर सिंह चौधरी जी ने लोहकरेरा, रुनकता, आगरा से।

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धन्यवाद।

This Post Has One Comment

  1. Avatar
    Krishna Kajle

    बहुत ही अच्छा कविता था

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