आप पढ़ रहे हैं कलम पर हिंदी कविता – मेरी कलम
कलम पर हिंदी कविता
मेरी कलम…….
ना कभी थकती है,ना कभी रुकती है!
बस अपने लक्ष्य के प्रति बढ़ती है।
मोह-माया से गुजर कर,
एक नई कविता लिखती है।
कुछ सुलझे और कुछ असुलझे,
हर कुछ न कुछ लाती है।
शब्दों की यह महारानी है,
कुछ नया कर जाती है।
अपने शब्दों से गरीबों की आवाज बन जाती है,
अपने अर्थों से अमीरों की मुसीबत बन जाती है।
कुछ न कुछ कह जाती है,
इसीलिए मेरी कलम है।
कभी अच्छा से अच्छा लिख जाती है,
कभी बुरा से बुरा लिख जाती है।
अपनों की भाषा यह बोलती है,
शब्दों की यह महारानी है।
अलग-अलग है इनके कारनामें,
यह सत्य राय पर ले जाती है।
यह मेरी कलम है,
एक नई आशा दिखाती है।
पढिए कलम शब्द पर आधारित यह कविताएं :-
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यह कविता हमें भेजी है पियूष यादव (अभी) जी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश -मऊ से।
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