ग़ज़ल जहां को बता दूँ | Ghazal Jahan Ko Bata Du
आप पढ़ रहे हैं ग़ज़ल जहां को बता दूँ :-
ग़ज़ल जहां को बता दूँ
तेरे हिज्र में ख़ुद को ऐसी सज़ा दूँ
मोहब्बत है क्या ये जहां को बता दूँ
गुज़र पाएगी कैसे तन्हा जवानी
किसी नाज़नीं को जिगर में बिठा दूँ
बहुत तीरगी है न यूँ दूर होगी
अगर हो इजाज़त तो दिल को जला दूँ
वफ़ाओं पे मेरी गुमां करने वाले
जफ़ाओं का तेरी मैं कैसे सिला दूँ
पढ़िए :- ग़ज़ल – क़सम दिल से जो खाते हैं
रचनाकार का परिचय
नाम :- बलजीत सिंह बेनाम
सम्प्रति :- संगीत अध्यापक
उपलब्धियाँ :- विविध मुशायरों व सभा संगोष्ठियों में काव्य पाठ
विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित
विभिन्न मंचों द्वारा सम्मानित
आकाशवाणी हिसार और रोहतक से काव्य पाठ
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