आप पढ़ रहे हैं हिंदी दिवस पर दोहे ( Hindi Diwas Par Dohe) :-

हिंदी दिवस पर दोहे

हिंदी दिवस पर दोहे

हिंदी पुरातन भाष है, जिसमें भाव अपार।
सहज सरल सरस इतनी, कि सीख रहा संसार।।

साहित्य इसका महान, जग में है पहचान।
युगों का बखान इसमें, मिलता सारा ज्ञान।।

जहां सारा अचरज है, पढ़ के ग्रंथ पुराण।
लौकिक है ज्ञान इसमें, वांचता हर सुजान।।

संस्कृत से ही हिंदी है, हिंदी समझता देस।
हिंदी से ही संस्कृति है, मिटाता सकल द्वेष।।

हिंदी भाषा बोली से, बोलचाल आसान।
शालीन मधु वाणी से, पिघल जात पासान।।

राष्ट्र एक भाषा भी, सिवा हिंदी न विकल्प।
भाषा में न बंटे देश, ना हो कलंकित कल्प।।

कहे सिंधवाल आप से, मन में करें चिंतन।
हिंदी के प्रसार से ही, नव विश्व करें सृजन।।

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संदीप सिंधवालमैं संदीप सिंधवाल संजू पुत्र श्री तुंगडी सिंधवाल रौठिया रुद्रप्रयाग उत्तराखंड का निवासी हूं। मैंने हिंदी में दिल्ली विश्वविद्यालय से एम. ए. किया है तथा कलनरी आर्ट फूड साइंस में बी. एस. सी. किया है। 5 साल दिल्ली के एक होटल में शेफ की नौकरी करने के पश्चात मै 5 साल से ऑस्ट्रेलिया के समीप पोर्ट मोरस्बी में कार्यरत हूं। मेरा व्यवसाय मेरे लेखन से बिल्कुल विपरीत है।

विदेश में रहकर भी मैंने बहुत कविताएं लिखी हैं। मै सन 2000 से कविताएं लिखता हूं जो विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। मैट्रिक पास करने के बाद ही मेरी कविता रचना मै रुचि बढ़ी। भगवान रुद्र पर कविता लिखना मेरा सौभाग्य है। विदेशों में हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए भरसक प्रयास करता हूं।

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