प्रभु की महिमा का गुणगान करती हुयी ( Ishwar Bhakti Kavita In Hindi ) ईश्वर भक्ति पर कविता ” आप यहां आप वहां ” :-

ईश्वर भक्ति पर कविता

ईश्वर भक्ति पर कविता

आप यहां, आप वहां, सर्वत्र ही आप हैं।
आप ही, तो युग आत्मा का, सच्चा प्यार हैं।।

आप करुणा, सहानुभूति, सृष्टि रचना कार आप हैं।
न हृदय प्रेम, नवीन अन्य में, सृष्टि संहार ही आप हैं।।

न्यौछावर हो, ये जन्म अंक, ईष्ट का तुम पर।
प्रभु तुम्हारी लीला हर युग में अपरंपार हैं।।

अधर्म, अनीति वृद्धि हो, जब विश्व पटल पर ।
स्वयं ही विश्वधरा पर तुम, धर्म के रक्षण हार हैं।।

आप चलाये, आप रुकाएं, आप हंसाये।
आप रुलायें, आप ही, तो, तारण हार हैं।।

आप सहलाये, आप दण्डायें, आप बनाये।
आप मिटाये, आप ही धरा के सृजन हार हैं।।

आप रंगाये, आप चित्र उकेरे, आप ही तैराये।
आप ही खिवैया, आप सच में, खेवन हार हैं।।

आप ही सूक्ष्म, आप स्थूल, आप अनन्त त्रिलोकी।
आप ही त्रिकालज्ञ, आप ही घट घट, जानन हार हैं।

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अंकेश धीमानयह कविता हमें भेजी है अंकेश धीमान जी ने बड़ौत रोड़ बुढ़ाना जिला मु.नगर, उत्तर प्रदेश से।

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