Hindi Ka Mahatva Par Kavita – आप पढ़ने जा रहे हैं हिंदी का महत्व पर कविता :-
Hindi Ka Mahatva Par Kavita
हिंदी का महत्व क्या है- इक कुपढा मुझसे पूछता है,
हिंदी के अपवादों के भीतर तर्क लग्न से खोजता है,
हिंद-शब्द मुँह से फूट पड़ने पर मुँह को अपने मसोसता है,
और हिंद-व्यवहार करने पर भी तन मन को संकोचता है।
तो,
उस कुपढे को समझाने को,
हिंदी का महत्व बतलाने को,
कवियों का सम्मान बचाने को,
और संस्कृति अपनी रखवाने को-
इक कविता-कहानी सुनाता हूँ,
और मानसिक ग़ुलाम बन चुके
इस कुपढे के वदन से
ग़ुलामी का मुखौटा हटवाता हूँ।
तो बात तब की है, जब-
भारत विश्व गुरु हुआ था,
कदमों में संसार झुका था,
सभ्यता सबसे पहली थी,
भव्यता दूर तक फैली थी।
अड़ते न थे बाहरी नृप-नरेश
बसते थे विष्णु-ब्रह्म-महेश।
हो खेल या हो वाद-विवाद,
हो विद्या या हो रण की बात
हर क्षेत्र में हम प्रथम थे,
हर कला में हम निपुण थे।
स्वाभिमान ललाट की शोभा था,
तन पर केसरिया चोगा था,
मानसिकता न किसी की ग़ुलाम थी
और न विकास पर लगी कोई लगाम थी।
अहा! वो भारत महान था,
जगत गाता गुणगान था,
और हिंदी के कारण हिंदी को
मिलता लायक सम्मान था।
लेकिन इन वीरों की नस्लें,
कुछ ऐसी नपुंसक पैदा हुईं
पाश्चात्य संस्कृति को सर चढ़ाया
और हिंद से यूँ जुदा हुईं
कि लज्जा से झुक गए शीश,
लज्जा से झुक गए शीश जिन्होंने
हिंद की खातिर खुद को किया था अर्पण,
किया आज़ादी के यज्ञ-कुंड में
था प्राणों का समर्पण।
जब हिंदी को हथियार बनाकर
ब्रिटिश नीवें तक हिला दी थी,
स्वदेशी आंदोलन में तो
हर परदेसी चीज़ जला दी थी।
दिनकर,गुप्त की कविताओं ने
कितने सेनानी खड़े किए,
विवेकानंद के वक्तव्य ने
पाश्चात्य दुर्ग थे भेद दिए,
लेकिन आज!
लेकिन आज उन स्वर्गवासी
वीरों से आँखें तक न मिला मैं पाता हूँ,
मां हिंदी को यूँ कटघरे में
खड़ा हुआ जब पाता हूँ
और सवाल पूछा जाता है कि
अंग्रेज़ हो तो आगे जाओ
यदि हिंदी हो तो धूल खाओ,
हाँ धूल भी मैं खा लूँगा
पर हिंदी न सर से उतारूँगा।
दिन गिन लो वो दूर नहीं
जब महाभारत का रण होगा,
जयद्रथ की भांति भागेगी
अंग्रेज़ी को डर होगा।
और इस भाषा के दीवाने
हम अर्जुन जब बन जाएंगे,
गांडीव से तीर निकलेगा और
सर जयद्रथ का कलम होगा।।
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रचनाकार का परिचय
यह कविता हमें भेजी है रोनित शर्मा जी ने, जिनकी उम्र 17 वर्ष है और वे 12वीं कक्षा के छात्र हैं। वे जयपुर (राजस्थान) के प्रताप नगर में रहते हैं व वहीं के एक विद्यालय में अध्ययनरत हैं। हिंदी साहित्य में इनकी रुचि है और हिंदी में कविताऐं लिखना इनकी खूबी।
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