ध्वजा तो मंदिर में लहराती है सदा | Dhwaja To Mandir Me

आप पढ़ रहे हैं ध्वजा तो मंदिर में लहराती है सदा :-

ध्वजा तो मंदिर में लहराती है सदा

ध्वजा तो मंदिर में लहराती है सदा

हवाओं ने रुख बदली, सितारों ने चाल बदली।
मगर ध्रुव तो अटल रहता हैं अंबर पे सदा।

समुंद्र ने किनारे बदले, तूफानों ने लहरें बदली।
मगर जल तो जीवन- प्राण रहता हैं सदा।

पतझड़ ने मौसम को बदला ,नकाब ने चेहरों को बदला।
मगर बहारों में फूल खिलते हैं सदा।

धुन ने संगीत को बदला, ताल ने नृत्य को बदला।
मगर राग तो साज करती हैं अधरों पे सदा।

भावनाओं ने विश्वास को बदला, लोभ ने इंसान को बदला।
मगर हृदय नैन तो कराते है आत्म- दर्पण सदा।

हादसों ने जीवन को बदला, अखबारों ने खबरों को बदला।
मगर मुश्किलों में हौसला ही काम आता हैं सदा।

समय ने सूत्रों को बदला, दर्पण ने सौंदर्य को बदला
मगर धरा के श्रृंगार से ही मानव सजता है सदा।

शंखनाद की गूंज बदली, घंटियों की ध्वनि बदली।
मगर ध्वजा तो मंदिरों पे लहराती है सदा।

पढ़िए :- शेरावाली माँ पर भक्ति कविता “हे मां शेरावाली”


ध्वजा तो मंदिर में लहराती है सदा | Dhwaja To Mandir Meयह कविता हमें भेजी है मनीषा मारू जी ने विराटनगर, नेपाल से।

“ ध्वजा तो मंदिर में लहराती है  ” कविता के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे रचनाकार का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।

यदि आप भी रखते हैं लिखने का हुनर और चाहते हैं कि आपकी रचनाएँ हमारे ब्लॉग के जरिये लोगों तक पहुंचे तो लिख भेजिए अपनी रचनाएँ hindipyala@gmail.com पर या फिर हमारे व्हाट्सएप्प नंबर 9115672434 पर।

हम करेंगे आपकी प्रतिभाओं का सम्मान और देंगे आपको एक नया मंच।

धन्यवाद।

 

You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *