अपने देश के प्रति असीम प्यार और जोश से भर देने वाली हिन्दी वीर रस की कविता ” भारत को भगवान लिखूंगा ”
हिन्दी वीर रस की कविता
कृतज्ञता का ज्ञापन दे भारत का प्रथम सोपान लिखूंगा ।
और भक्त बन भारत के हित भारत को भगवान लिखूंगा ।।
भरत वंश की भरत भूमि का गौरव गान महान लिखूंगा ।
जिस मिट्टी में तेज तपोबल उसका मैं गुणगान लिखूंगा ।।
मानस वेद पुराण ग्रंथ उपनिषदों का व्याख्यान लिखूंगा ।
और पूर्वजों के बलिदानी तेवर का अभिमान लिखूंगा ।।
श्रृष्टि और समष्टि रक्षक वीरों को बलवान लिखूंगा ।
निज जीवन की आहुति देने वालों का सम्मान लिखूंगा ।।
सकल विश्व का मंगलकारी मैं मानव विज्ञान लिखूंगा ।
परहित के हित मिट जाना ही मानवता का ज्ञान लिखूंगा ।।
इतिहासों में दबे पड़े वीरों का गौरव गान लिखूंगा ।
नित्य प्रभाकर की किरणों से उनको देदीप्यमान लिखूंगा ।।
उन्हें स्मरण कर करके मैं जन जन में अभियान लिखूंगा ।
नवल चेतना भर भारत में भविष्य का निर्माण लिखूंगा ।।
संवाहक हूं संस्कारों में जीवन को धर ध्यान लिखूंगा ।
और आचरण कि शुचिता से जीवन का कल्याण लिखूंगा ।।
तात मात भगिनी भ्राता में मानस का आधान लिखूंगा ।
कर्मयोग निष्काम भाव का भगवदगीता ज्ञान लिखूंगा ।।
मुनि दधीचि नृप मान्धाता के सेवा का उपमान लिखूंगा ।
रंतिदेव शिवि भोजराज औ हरिश्चन्द्र का दान लिखूंगा ।।
राम भरत श्री कृष्ण पार्थ को अदम्य शक्तिमान लिखूंगा ।
कर्ण भीष्म औे गुरु द्रोण के युद्धों का संज्ञान लिखूंगा ।।
माता महि की मृदा उर्वरा में सबका श्रमदान लिखूंगा ।
गो-लोक से गंगा लाए भागीरथ गुणवान लिखूंगा ।।
राधा रानी औ मीरा के प्रेम भक्ति को प्राण लिखूंगा ।
गार्गी गंडकी विदुषि बालाओं का भी योगदान लिखूंगा ।।
जौहर पर न्योछावर रानी पदमावती का प्राण लिखूंगा ।
और राष्ट्र रक्षा हित हांडा रानी का शीश दान लिखूंगा ।।
चेन्नम्मा झांसी की रानी दुर्गावती को छान लिखूंगा ।
निवेदिता के सेवा भाव का समाज में स्थान लिखूंगा ।।
राणा शिवा शेखर सुभाष औ भगत को विश्व प्रधान लिखूंगा ।
क्रांति कुंड के यज्ञ ज्वाल में इनको अग्नि समान लिखूंगा ।।
सत्य सनातन रहे सहेजते संतो का सतज्ञान लिखूंगा ।
स्वामी विवेका दयानंद से भारत का उत्थान लिखूंगा ।।
भूमण्डल पर शांति अहिंसा भारत की पहचान लिखूंगा ।
समृद्धि सुख शांती भारत माता का परिधान लिखूंगा ।।
हमें सहेजा जिन पुरखों ने उनका कीर्तिमान लिखूंगा ।
और उन्हीं के पदचिन्हों पर चलने का प्रावधान लिखूंगा ।
लिखते लिखते लिख डालूंगा पुरुखों का है हिन्दुस्थान ।
जिन्हे नमन करते जाएंगे राष्ट्र प्रेम में रत विद्वान ।।
पढ़िए :- देश के वीरों पर कविता “उसी पथ पे हम भी”
नाम – जितेंद्र कुमार यादव
धाम – अतरौरा केराकत जौनपुर उत्तरप्रदेश
स्थाई धाम – जोगेश्वरी पश्चिम मुंबई
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