Rani Lakshmi Bai Par Kavita | झांसी की रानी पर कविता

झाँसी के रानी के बारे में कौन नहीं जानता। स्वतंत्रता के पहले संग्राम में रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के होश उड़ा दिए थे। आइये पढ़ते हैं उन्हीं को समर्पित कविता ( Rani Lakshmi Bai Par Kavita ) ” झांसी की रानी पर कविता ”

Rani Lakshmi Bai Par Kavita
झांसी की रानी पर कविता

Rani Lakshmi Bai Par Kavita

अंग्रेजो को धूल चटाई,जींवत उसकी कहानी
एक जवानी,देश दीवानी, झांसी की वो रानी,

बाल समय था नाम मनु,फिर लक्ष्मीबाई जानी
माँ भारती की लाज बचाने बन बैठी थी सयानी,

निःसंतान गये थे राजा रानी ने हार ना मानी
गोरों को औकात उन्ही की उसको जो थी दिखानी,

महाराष्ट्रा की कुल देवी उसकी भी आराध्य भवानी
हर नारी में भर दी उसने साहस सहित जवानी,

दूर फिरंगी को करने की उसने ही मन ठानी
खूब लड़ी वो वीर मराठा,बन वीरता निशानी,

भारत की भूमि का गौरव,आज बनी है कहानी
नारी का सम्मान बनाया,फिर हुई थी वीरानी,

अंग्रेजो को धूल चटाई,जींवत उसकी कहानी
एक जवानी,देश दीवानी, झांसी की वो रानी।

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रचनाकार का परिचय :-

ब्रिजना शर्मा यह कविता हमें भेजी है ब्रिजना शर्मा जी ने रामगढ़ शेखावाटी, सीकर से। ब्रिजना शर्मा अपने शब्दों से समाज में सकारात्मक सोच लाने की कोशिश करती हैं।

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