कविता अरदास मेरे मन की | Kavita Ardaas Mere Man Ki

कविता अरदास मेरे मन की

कविता अरदास मेरे मन की

कविता अरदास मेरे मन की

अरदास मेरे मन की
माँ बेकार नहीं होगी,
तु संग है तो जीवन में
कभी हार नहीं होगी।।

गमों से टूट जाऊं मैं
माँ ये हो नहीं सकता,
बेटे हो गर दु:ख में तो
पिता सो नहीं सकता,
माँ-बाप बिन नैया
भवपार नहीं होगी,
तु संग है तो जीवन में
कभी हार नहीं होगी।।

घनघोर अंधेरा हो या
फिर काल हो आगे,
कह दुंगा मैं उनसे
मेरी माँ है मेरे सागे,
ऐसी में जग की भी
मुझे दरकार नहीं होगी,
तु संग है तो जीवन में
कभी हार नहीं होगी।।

भक्ति का समर्पण हो
मन में गर सबके,
रहे महफूज आँचल में
भगवान कहे चलके
इज्जत जमाने में कभी
शर्मसार नहीं होगी,
तु संग है तो जीवन में
कभी हार नहीं होगी।।

अरदास मेरे मन की
माँ बेकार नहीं होगी,
तु संग है तो जीवन में
कभी हार नहीं होगी।।

पढ़िए :- स्वर्गीय माँ पर कविता – माँ नहीं हमारे पास 


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धन्यवाद।

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1 Response

  1. Avatar Satender says:

    Really goood bhai. You have written marvellously

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