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किस्मत पर कविता

किस्मत पर कविता

क्या है ये क़िस्मत ?
सोचो तो सोचते रह जाओगे
पुछो तो पूछते रह जाओगे
कि क्या है क़िस्मत
पर क्या है क़िस्मत ?

कोई दुखी होता है तो कहता है
मेरी क़िस्मत ख़राब है
किसी को कोई चीज नही मिलती
तो कहता है क़िस्मत ख़राब है

पर सच कहूँ तो
क़िस्मत एक ज़िंदगी का नाम है
भगवान ने उसे दिया है वहीं है क़िस्मत
पर लोग अपनी क़िस्मत ढूँढते रहते है

कोई कहता है कि ख़ुदा की देन है क़िस्मत
कोई कहता है कि क़िस्मत बनाने से बनती है क़िस्मत
कोई कहता है कि पिछले जन्म का कर्म है ये क़िस्मत
आख़िर क्या है ये क़िस्मत ?

बस ये जान लो तुम इंसान बने हो यही है क़िस्मत।

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रचनाकार का परिचय

रुची

यह कविता हमें भेजी है रुचि जी ने दिल्ली से।

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