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पिता को समर्पित कविता

पिता को समर्पित कविता

कंधों पर अपने मुझे बिठाकर
अंजान जगत से मुझे मिलाया।
मेरी मूक बातों को समझकर
उर में मेरे प्रेम का पुष्प खिलाया।।

अपनी इच्छाओं को भूलकर
मुझे सुख सुविधाएं किए प्रदान।
मेरी नन्ही सी जिद के कारण
जीवन में नहीं कभी हुए हैरान।।

धूप में कठिन परिश्रम करके
ब्यथाओ को हंस के छुपाता रहा ।
तेरी नन्ही सी मुस्कान देखकर
दुख लुप्त जाता हैं उसने कहा।।

अपने समस्त सपने त्यागकर
मेरे उज्जवल कल में वह बहा।
आराम से मुंह मोड़कर के वह
संघर्ष करके प्रत्येक दर्द सहा।।

जीवन की प्रथम पाठशाला में
शिक्षित किए मुझे मेरे तात।
भयभीत न होना कठिनाई से
रात के पश्चात होती हैं प्रभात।।

जीवन की मुश्किल राह में
धारण करना तुम ज्ञान की माला।
अपने अनमोल विचारों से तुम
फैलाना विश्व में प्रेम का उजाला।।

हर दिन स्वर्ग उतर आता है
घर में मेरे आ जाती बहार।
सबकी मीठी प्यारी बातों से
मिलकर बनता है परिवार।।

पढ़िए :-पिता पर हिंदी कविता ” पिता हमारे सुख दु:ख में “


नमस्कार प्रिय मित्रों,

सूरज कुरैचया

मेरा नाम सूरज कुरैचया है और मैं उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के सिंहपुरा गांव का रहने वाला एक छोटा सा कवि हूँ। बचपन से ही मुझे कविताएं लिखने का शौक है तथा मैं अपनी सकारात्मक सोच के माध्यम से अपने देश और समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जिससे समाज में मेरी कविताओं के माध्यम से मेरे शब्दों के माध्यम से बदलाव आए।

क्योंकि मेरा मानना है आज तक दुनिया में जितने भी बदलाव आए हैं वह अच्छी सोच तथा विचारों के माध्यम से ही आए हैं अगर हमें कुछ बदलना है तो हमें अपने विचारों को अपने शब्दों को जरूर बदलना होगा तभी हम दुनिया में हो सब कुछ बदल सकते हैं जो बदलना चाहते हैं।

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