Prakriti Par Kavita प्रकृति पर कविता Beautiful Poem On Nature

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Prakriti Par Kavita
प्रकृति पर कविता

Prakriti Par Kavita

रंग बिरंगे धरा पे फूल खिले हैं
प्रतीत हुआ आ गया है सावन।
हरियाली के वस्त्र पहन प्रकृति
कल तक जो थी रेगिस्तान।।

तितलियां सभी प्रफुल्ल होकर
मनमुग्ध हो उड़ी नील गगन में।
विपरीत परिस्थितियों में भी वह
खोज लेती खुशियां जीवन में।।

वसुधा का हरा भरा आंगन
है मानव का मन मोहने वाला।
समस्त दिशाओं में फैला है
सुगंध का मधुमय सा उजाला।।

पतझड़ पल भर में हुआ लुप्त
खिल उठी सूखे पुष्पो की बेला।
जैसे मानव के सूने से जीवन मे
आया पुनः हरियाली का मेला।।

बचपन की आनंदमय प्रभात
जिसको हम सहचर भूले थे।
प्रकृति ने है स्मरण कराया
इन्हीं वृक्षों सावन के झूले थे।।

पक्षी सभी प्रफुल्लित होकर
नभ में उड़ के गा रहे है गीत।
मूक स्वरो में दे रहे है संदेश
यहीं है प्रकृति की सच्ची जीत।।

बच्चो के कोलाहल से फिर
एकांत सी गालियां हुई रोशन।
कोयल की मधुर सी वाणी से
उत्साहित हो उठा सबका मन।।

पढ़िए :- प्रकृति प्रेम पर हिंदी कविता ” प्रकृति-प्रेम जगाना सीखो “


नमस्कार प्रिय मित्रों,

सूरज कुरैचया

मेरा नाम सूरज कुरैचया है और मैं उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के सिंहपुरा गांव का रहने वाला एक छोटा सा कवि हूँ। बचपन से ही मुझे कविताएं लिखने का शौक है तथा मैं अपनी सकारात्मक सोच के माध्यम से अपने देश और समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जिससे समाज में मेरी कविताओं के माध्यम से मेरे शब्दों के माध्यम से बदलाव आए।

क्योंकि मेरा मानना है आज तक दुनिया में जितने भी बदलाव आए हैं वह अच्छी सोच तथा विचारों के माध्यम से ही आए हैं अगर हमें कुछ बदलना है तो हमें अपने विचारों को अपने शब्दों को जरूर बदलना होगा तभी हम दुनिया में हो सब कुछ बदल सकते हैं जो बदलना चाहते हैं।

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