आप पढ़ रहे हैं सरस्वती वंदना कविता “हे माँ सरस्वती”

सरस्वती वंदना कविता

सरस्वती वंदना कविता
हे मां सरस्वती….
हमें विचार का अभिदान दो
मां स्वाभिमान का मान लो
योग्य पुत्र बन सके
मां चित्त में शुचिता भरो,

हे मां सरस्वती
कर्म में सत्कर्म दो
बुद्धि में सुमति दो
वाणी में माधुर्य दो
देवी ,तू प्रज्ञामयी
मां सरस्वती मैं
प्रणाम कर रहा हूं

हे मां शारदे
हम तिमिर से घिर रहे है
तुम हमें प्रकाश दो
विनम्रता का दान दो मां
चरण पूजन कर रहा हूं
चित्त में शांति भर दो।

हे मनीषिणी
योग्य पुत्र बन सके हम
भाव की अभिव्यक्ति दो
लेखनी में धार दो
विचार का अभिदान दो मां

हे मां सरस्वती
तुम्हारी वन्दना मैं नित्य करूं
ऐसा मुझे वरदान दो
मां मुझे वरदान दो।

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रचनाकार का परिचय –

कालिका प्रसाद सेमवाल

नाम—कालिका प्रसाद सेमवाल
शिक्षा—एम०ए०, भूगोल, शिक्षा शास्त्र
आपदा प्रबंधन, व्यक्तित्व विकास फाउंडेशन कोर्स विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए बी०एड० सम्प्रति व्याख्यात
सेवारत —जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान रतूड़ा रूद्रप्रयाग उत्तराखंड
प्रकाशित पुस्तकें–रूद्रप्रयाग दर्शन
अमर उजाला,दैनिक जागरण ,हिंदुस्तान व पंजाब केसरी विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में धर्म संस्कृति व सम सामयिक लेख प्रकाशित होते हैं ,उत्तराखंड विघालयी शिक्षा की हमारे आसपास,कक्षा 3,4,5, और कक्षा 6 की सामाजिक विज्ञान पुस्तक लेखन समिति के सदस्य और लेखक भी हैं।

अब तक प्राप्त सम्मान—
रेड एण्ड व्हाईट पुरस्कार, हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग द्वारा साहित्यभूषण, साहित्य मनीषी,अन्य मानस श्री कालिदास सम्मान,उत्तराखंड गौरव साहित्य मण्डल, श्रीनाथ द्वारा साहित्य रत्न, साहित्य महोपाध्याय सम्मानोपधि व देश की विभिन्न संगठनों द्वारा साहित्य में पचास से अधिक सम्मान मिल चुके है
पता—मानस सदन अपर बाजार
रूद्रप्रयाग उत्तराखंड
पिनकोड 246171


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