प्रिय पाठकों, सावन माह का हिन्दू धर्म में बहुत बड़ा महत्व है। इस माह में सभी भक्त भगवान् शिव की पूजा करते हैं और केदारनाथ के साथ अन्य धामों की यात्रा भी करते हैं। इससे उनके सभी पाप धुल जाते हैं और उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है। तो आईये इसी विषय पर पढ़ते हैं अमिता रवि दुबे जी द्वारा रचित ( Shiv Shankar Par Kavita ) शिव शंकर पर कविता –

शिव शंकर पर कविता

शिव शंकर पर कविता

सकल जगत ओम्कारेश्वर।
सृष्टि सर्जक प्रभु विश्वेश्वर।

आप ताप को धारण कर।
सहज मानते हे भोलेश्वर।।

सावन में अमृत मंथन से
विष पी बने नीलकंठेश्वर।।

पार्वती के तप से खुश होकर।
आये हिमाचल मैंना के घर।।

पावस ऋतु सावन महिना तब
मात-पिता ने जल से दिया भर।।

प्रथम जलाभिषेक का सुख था।
गरल ताप से हर्षित हुए जलेश्वर।।

रावण ने काँवरिया का दिया जल।
प्रथम बार हो गए बैद्यनाथेश्वर।।

दाएँ सूर्य बाएँ चन्द्र पावक धर।
कालों के कहलाये महाकालेश्वर।।

ऋषि, मुनि ज्ञानी ध्यानी के योगी।
दाएं अंग प्रकट किए तब विषधर।।

सती विरह में जन्म सफल कर।
पार्वती के हो गए शिवशंकर।।

अनन्त सृष्टि के रक्षक बनकर।
निर्माण में चले भोलेशंकर।।

राम के शिष्य और राम ही गुरुवर।
रूद्व रूप में व्यापक रुद्रेश्वर।

शिव में शक्ति शक्ति में शिववीर
अन्याय को मिटाने चले रामेश्वर।।

सेतुबंध के हेतू अनेकानेक
राम जन्म में संग पूर्ण सिध्देश्वर।।

दुष्ट, दैत्य को संहारने रूप लिए
शक्ति में सर्वदेव शक्तियों को भर।।

यही सावन को किया आपने।
आक , बेल ,कनेर धतूरा, रसधर।।

विश्व विष धरण गंगा विराजे जटाधर।
सोम ,व्योम मति रोम रोम नरहरेश्वर।

चोर, चाण्डाल अतिपाप मिटाने
पुण्य प्रसून प्रताप प्रकटे नर्मदेश्वर।

जन-जन जीवन जगत सुखकर्ता।
विष्णु शयन सुख त्रयम्बकेश्वर।।

देवशयनी से देवउठनी तक जब
धरती बचाते बन विश्वनाथेश्वर।।

चौमासा सावन पावन जो करे।
जल,दूध ,मधु ,गंगाजल भर भर।

एक बेलपत्र ही से पाप कटे तब
कनेर मात्र ही पा लेते घृष्णेश्वर।।

सबके रक्षक ,त्रिपुरारी बाघेश्वर।
तन पर लिपटे रहत बाघम्बर।।

श्मशान में राम रमे वही भभूत अंग में।
नित्य लगाते बाबा भोले भूतेश्वर।।

सबके नाथ प्रलयंकारी डमरूधर।
जगतनियन्ता,चंद्रमौलेश्वर अनादेश्वर।

सच मे हो तुम महादेव शंम्भू शंकर।
गणपिता, मृत्युंजय, नागेश्वर।।

यह पावन महिना बर्फ़ानी उमापति का।
विश्व कला धारी ,नटराजेश्वर।।

नमो नमः ॐ एकाक्षरी मन्त्र मात्र से।
काल मिटाते , बोलो महादेव हर,हर।।

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नाम -अमिता रवि दुबे
पति का नाम -रवि दुबे
शिक्षा- एम ए हिंदी 2 एमए समाजशास्त्र साहित्य रत्न
रुझान रचात्मक- लेखन संचालन, अभिनय वक्ता
विधा- गद्य पद्य दोनों, हिंदी छत्तीसगढी
आकाशवाणी रायपुर जगदलपुर दूरदर्शन से प्रसारण
प्रसारण देश अनेक पत्रपत्रिकाओं में
संस्थागत प्रकाशन-कार्यक्षेत्र समाज सेवा शिक्षा बाल पत्रकारिता पर्यायवरण आदि

सम्मान पुरस्कार- 1978 आकाशवाणी युवा कलाकार सम्मान
क्रमशः सर्वश्रेष्ठ छात्रा सम्मान महाविद्यालय एवम पुरस्कार

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    Rajveer Singh

    Nice Mahadev article Hai Padh Ke Maja Aa Gaya Dhanyawaad ​​Aapka. bholenath shayari in hindi

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