विश्व हिंदी दिवस पर कविता – आप पढ़ रहे हैं ( Vishwa Hindi Diwas Par Kavita ) हिन्दी मेरी भाषा :-

विश्व हिंदी दिवस पर कविता

विश्व हिंदी दिवस पर कविता

हिन्द भूमि से जुड़ी;
भाषा हिन्दी कहलाय,
शब्दों में सुगंध धरा की;
हिन्दी खूब लुभाय।

हिन्दू राष्ट्र का स्वाभिमान;
हिन्दी में समाय,
जनगण, वन्दे मातरम् का गान;
शब्दामृत बरसाय।

उत्सव, कथा या प्रसंग;
हिन्दी में कहा जाय,
इसके सुरीले मधुर स्वर
हृदय तक छूं जाए।

हिन्दी, माटी की भाषा
रग-रग में, हर श्वास मे,
भारत की पहचान इसी मे;
भारतीयता की शान ये।

प्रेम और सत्कार कि भाषा;
हिन्दी में ही भाती;
अभिभूषित, अभिमंडित करने;
हिन्दी रस बरसाती।

मुझे गर्व हिन्दू हूँ मैं;
हिन्दी मेरी भाषा,
विश्व गगन पर चमके;
मेरी मातृभाषा।

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रचनाकार का परिचय

डा. संदीप पाण्डेय

नाम: डा. संदीप पाण्डेय
निवास:
रीवा, मध्यप्रदेश
शिक्षा: एम. एस. सी (वनस्पति शास्त्र) , पी.एच.डी, पी. जी. डी. सी. ए.
पद: व्याख्याता, वनस्पति विज्ञान अध्ययन केन्द्र,
अ. प्र. सि. विश्वविद्यालय, रीवा, मध्यप्रदेश.

रुचियां: समाज सेवा, पठन- पाठन, काव्य लेखन, एकांकी, नाटक. आकाशवाणी एवं दूरदर्शन भोपाल, शहडोल, रीवा से विभिन्न समसामयिक विषयों पर वार्ताओं का प्रसारण
प्रकाशन: काव्य संग्रह “हरियाली की ओर” (प्रेस मे)

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