बाल कविता नील गगन में
भानू ने सुबह नील गगन में
फैलाई अपनी जीवन लाली,
प्रकृति ने पुनः पहने परिधान
मुस्काई पौधों की कली निराली।
प्रसून सभी पल भर में खिले
जब व्यतीत हुई यामिनी काली,
वृक्षों ने मृदुल वात बहाकर
जिम्मेदारी पूरी जीवन की संभाली।
मन मुग्ध होकर पत्ते हिले
और बिखरी चारों ओर हरियाली,
आसमान के रोशन आंचल से
शशि,तारों का दृश्य हुआ खाली।
पक्षियों ने उड़ान भरके नभ में
विचित्र पंक्ति की बारात निकाली,
पंखों को फिर धरा पर ले जाकर
नजरों को अपनी दानों पर डाली।
बच्चों ने प्यारा सा गीत गाया
वाणी थी सबका मन मोहने वाली,
प्रकृति के समस्त जीवों ने पी
जीवन रूपी प्रकाश की प्याली।
पढ़िए :- पेड़ बचाओ पर बाल कविता “वृक्ष बचाएं हम”
रचनाकार का परिचय
मेरा नाम सूरज कुरैचया है और मैं उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के सिंहपुरा गांव का रहने वाला एक छोटा सा कवि हूँ। बचपन से ही मुझे कविताएं लिखने का शौक है तथा मैं अपनी सकारात्मक सोच के माध्यम से अपने देश और समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जिससे समाज में मेरी कविताओं के माध्यम से मेरे शब्दों के माध्यम से बदलाव आए।
क्योंकि मेरा मानना है आज तक दुनिया में जितने भी बदलाव आए हैं वह अच्छी सोच तथा विचारों के माध्यम से ही आए हैं अगर हमें कुछ बदलना है तो हमें अपने विचारों को अपने शब्दों को जरूर बदलना होगा तभी हम दुनिया में हो सब कुछ बदल सकते हैं जो बदलना चाहते हैं।
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