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प्रेरणादायक बाल कविता नजरिया
घोर तम छाया वसुधा पर
जब भानू हुआ अदृश्य ।
कुछ क्षण में ही प्रकृति के
लुप्त हुए सुनहरे दृश्य ।।
पक्षियों को प्रतीत हुआ कि
बहने वाली है तम की धारा ।
भानू ने है प्रकाश समेटा
अब प्रकट होगा झिलमिल तारा।।
समस्त पुष्प,कलियां मुरझाई
कोमल पत्तों का हिलना बंद हुआ।
शीतल पवन ने लगाया अनुमान
दिवस बीता विकट अंध हुआ ।।
कुछ पल में आगमन हुआ
शशि और नन्हे से सितारों का ।
चित्र अनेक प्रकट हुए नभ में
तारे मोती बने माला के हारों का।।
दादी ने प्यारी लोरी सुना कर
दिया बच्चों को प्रेरक संदेश ।
अंधकार मिट जाएगा क्षण में
प्रकृति धारण करेगी प्रभात भेष।।
दुख भी कुछ वैसे ही होते हैं
कुछ रो कर कीमती क्षण खोते है।
कायर करते स्वीकार भागना
और सूरमा आशा के बीज होते हैं
अनमोल सीख तुम्हें बतलाता हूं
समाधान की ओर रखो दृष्टि।
नजरिया अपना बदल कर तुम
बदल सकते हो स्वयं की सृष्टि।।
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नमस्कार प्रिय मित्रों,
मेरा नाम सूरज कुरैचया है और मैं उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के सिंहपुरा गांव का रहने वाला एक छोटा सा कवि हूँ। बचपन से ही मुझे कविताएं लिखने का शौक है तथा मैं अपनी सकारात्मक सोच के माध्यम से अपने देश और समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जिससे समाज में मेरी कविताओं के माध्यम से मेरे शब्दों के माध्यम से बदलाव आए।
क्योंकि मेरा मानना है आज तक दुनिया में जितने भी बदलाव आए हैं वह अच्छी सोच तथा विचारों के माध्यम से ही आए हैं अगर हमें कुछ बदलना है तो हमें अपने विचारों को अपने शब्दों को जरूर बदलना होगा तभी हम दुनिया में हो सब कुछ बदल सकते हैं जो बदलना चाहते हैं।
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