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प्रयास पर कविता
जीवन की भुलभुलैया में
बहुत हुआ मुझको अनुभव।
गिर गिरकर खड़ा हुआ मै
तब मिला सफलता का पथ नव।।
प्रत्येक मोड़ पर हर मार्ग में
मुश्किलें बांहे फैलाए खड़ी थी।
दूर से लग रही थी तिनके सी
गया समक्ष पहाड़ सी बड़ी थी।।
पर मै भी नहीं साहस हारा
झोंक दिया सम्पूर्ण प्रयास।
चट्टानों ने देखा मानव संकल्प
खोया उसने क्षण में विश्वास।।
प्रखर गुण है अदभुद अनेक
झुपे पड़े मानव के अन्दर।
झांकता जब अपने अंतर्मन में
निकलता खजाना सा समन्दर।।
विपरीत परिस्थितियों आयेगी
करने मानव तुझको भयभीत।
हंसकर अगर तू करेगा पार
शीघ्र तेरे निकट आयेगी जीत।।
सफलता का मार्ग सहज नहीं
शेष लोग इसको करते प्राप्त।
आलस में जो समय गवाता
सुखद क्षण हो जाते समाप्त।।
निरंतर तुम चलते रहो सखा
जगत की है अमूल्य सीख।
आज नहीं अगर तू समझा
तो कल मांगनी पड़ेगी भीख।।
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नमस्कार प्रिय मित्रों,
मेरा नाम सूरज कुरैचया है और मैं उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के सिंहपुरा गांव का रहने वाला एक छोटा सा कवि हूँ। बचपन से ही मुझे कविताएं लिखने का शौक है तथा मैं अपनी सकारात्मक सोच के माध्यम से अपने देश और समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जिससे समाज में मेरी कविताओं के माध्यम से मेरे शब्दों के माध्यम से बदलाव आए।
क्योंकि मेरा मानना है आज तक दुनिया में जितने भी बदलाव आए हैं वह अच्छी सोच तथा विचारों के माध्यम से ही आए हैं अगर हमें कुछ बदलना है तो हमें अपने विचारों को अपने शब्दों को जरूर बदलना होगा तभी हम दुनिया में हो सब कुछ बदल सकते हैं जो बदलना चाहते हैं।
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