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होली पर हिंदी कविता
रंग ही रंग होंगे चारो ओर
समक्ष आयेगी जब होली।
घर के आंगन में सजी होगी
प्यारी सी मनमोहक रंगोली।।
स्वर्ग जमी पर उतर आएगा
प्रफुल्लित होंगे समस्त मानव।
वसुधा पे इतना उल्लास देख
भाग जाएंगे सारे शत्रु दानव।।
प्रकृति उत्साह से भरी होगी
सूरज शीतल हो जाएगा।
मूक सा कोई मनमोहक गीत
पीपल का विटप गाएगा।।
सलिल में होगी सुखद हलचल
जिसमे मिले होंगे रंग अनेक।
ऐसी मधुर क्षण की बेला में
निराश नहीं होगा कोई एक।।
मित्रो के संग दौड़ लगाकर
रंगीन कर देगे हम पूरा गांव।
भागकर जब थक जाएंगे तो
लेगे शीतल पीपल की छांव।।
बड़े बुजर्गो से मिलकर के
पूछेंगे उनके हृदय का हाल।
चुपके से फिर उनके गाल पे
लगाएंगे नीली पीली गुलाल।।
झुककर चरण स्पर्श करके
लेगे आशीष उनका बहुमूल्य।
जन जन को देगे उनका संदेश
व्यर्थ न गंवाना समय अमूल्य।।
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नमस्कार प्रिय मित्रों,
मेरा नाम सूरज कुरैचया है और मैं उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के सिंहपुरा गांव का रहने वाला एक छोटा सा कवि हूँ। बचपन से ही मुझे कविताएं लिखने का शौक है तथा मैं अपनी सकारात्मक सोच के माध्यम से अपने देश और समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जिससे समाज में मेरी कविताओं के माध्यम से मेरे शब्दों के माध्यम से बदलाव आए।
क्योंकि मेरा मानना है आज तक दुनिया में जितने भी बदलाव आए हैं वह अच्छी सोच तथा विचारों के माध्यम से ही आए हैं अगर हमें कुछ बदलना है तो हमें अपने विचारों को अपने शब्दों को जरूर बदलना होगा तभी हम दुनिया में हो सब कुछ बदल सकते हैं जो बदलना चाहते हैं।
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