आप पढ़ रहे हैं ( Bhagwan Ram Par Kavita ) भगवान राम पर कविता :-

Bhagwan Ram Par Kavita
भगवान राम पर कविता

Bhagwan Ram Par Kavita

वो सिर्फ इक नारा नहीं, हम हिंदुओं का मान है,
है वीरता जिनकी बड़ी, इंसाँ नहीं भगवान है।
है कौन संहारक यहॉं और कौन जीवन धाम है,
हर आदमी ये कह रहा, श्री राम है, श्री राम है।।

कुछ अजनबी ही बो रहे, उस मज़हबी पैग़ाम को,
उन दानवों की बात सुन करके भुला दी राम को।
इंसानियत पर घाव कर वो चल रहे किस दाँव पर,
जिनको खबर ना पाँव की वो छल रहे घनश्याम को।।
है कौन वो कलिकाल पूरा, कौन आठों याम है।
हर आदमी ये कह रहा, श्री राम है, श्री राम है।।

इंसान को जो छल रहे उस ज्ञान को ठोकर मिला,
ईमान पर अविचल रहे उस राम को ही घर मिला।
दर-दर भटकते फिर रहे हर नार को अवसर मिला,
पल-पल तरसते नैन को, ‘बल’ प्रेम का सागर मिला।।
है कौन वो गतिशील बंदे, कौन जग विश्राम है।
हर आदमी ये कह रहा, श्री राम है,श्री राम है।।

वो छप रहे अखबार में, हर हाट में बाजार में,
घर-घर,गली, हर द्वार में, हर रूप में ,अवतार में।
पारा- मुहल्ला शोर है, सब प्राणियों पर जोर है,
अनुनायियों की भीड़ है, उस राम के दरबार में।।
है कौन शीतल छाँव प्यारे, कौन उज्ज्वल घाम है।
हर आदमी ये कह रहा, श्री राम है,श्री राम है।।

वो सिर्फ इक नारा नहीं,हम हिंदुओं का मान है,
है वीरता जिनकी बड़ी,इंसाँ नहीं भगवान है।
है कौन संहारक यहॉं और कौन जीवन धाम है,
हर आदमी ये कह रहा,श्री राम है, श्री राम है।

पढ़िए :- श्री रामचंद्र कृपालु भजमन अर्थ सहित | Shri Ram Stuti Lyrics


रचनाकार का परिचय

बलराम सिंह 'बल्लू-बल'

यह कविता हमें भेजी है बलराम सिंह ‘बल्लू-बल’ जी ने थान-खम्हरिया, जिला-बेमेतरा, छत्तीसगढ़ से।

“ भगवान राम पर कविता ” ( Bhagwan Ram Par Kavita ) आपको कैसी लगी? “ भगवान राम पर कविता ” ( Bhagwan Ram Par Kavita ) के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे लेखक का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।

यदि आप भी रखते हैं लिखने का हुनर और चाहते हैं कि आपकी रचनाएँ हमारे ब्लॉग के जरिये लोगों तक पहुंचे तो लिख भेजिए अपनी रचनाएँ hindipyala@gmail.com पर या फिर हमारे व्हाट्सएप्प नंबर 9115672434 पर।

हम करेंगे आपकी प्रतिभाओं का सम्मान और देंगे आपको एक नया मंच।

धन्यवाद।

Leave a Reply