भारत दुर्दशा कविता | Bharat Durdasha Kavita In Hindi

वर्तमान काल मे अनैतिक राजनीति के चक्कर में भारत के बिगड़े हुए स्थिति को दर्शाती ये ( Bharat Durdasha Kavita ) भारत दुर्दशा कविता –

Bharat Durdasha Kavita
भारत दुर्दशा कविता

भारत दुर्दशा कविता

आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी हिंदुस्तान की
बहुत अधिक दुर्दशा हो रही भारत देश महान की !!

भगत सिंह हो गए शहीद जहाँ इंकलाब की बोली में.
आज युवा सब घूम रहे हैं शैतानों की टोली में.

न्याय धर्म का महत्व नहीं अब नींव गिरी ईमान की.
बहुत अधिक दुर्दशा हो रही भारत देश महान की !!

बड़े – बड़े नेता विदेश में जाकर मौज उड़ाते हैं.
यहां गरीबजन भूख-प्यास से तड़प तड़प मर जाते हैं.

फांसी पर भी लटक रहे हैं हालत बुरी किसान की.
बहुत अधिक दुर्दशा हो रही भारत देश महान की !!

हम सब बैठे शांति तभी दुश्मन सिर चढ़कर बैठ रहे.
जान बूझकर क्यों भैया ? अपनी अर्थी पर लेट रहे.

कब तक ऐसे राज्य करेंगी ? सत्ताएँ बेईमान की.
बहुत अधिक दुर्दशा हो रही भारत देश महान की !!

कहीं हो रहे विरोध प्रदर्शन कहीं धरना गद्दारों के.
ठाट बाट क्यों बंद पड़े हैं? रघुकुल राज कुमारों के.

शर्म करो अब बात आ गई भारत के सम्मान की.
बहुत अधिक दुर्दशा हो रही भारत देश महान की !!

आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी हिंदुस्तान की.
बहुत विकट दुर्दशा हो रही भारत देश महान की !!

पढ़िए :- भारत देश पर कविता | भारत देश अनोखा


रचनाकार का परिचय

आर्यपुत्र आर्यन

यह कविता हमें भेजी है आर्यपुत्र आर्यन जी ने। आर्यपुत्र आर्यन जी भागवत कथा प्रवक्ता व हिन्दी के रचनाकार हैं। इन्होंने पुस्तकें भी लिखी हैं एवं इनकी कई कविताएं व गीत उपलब्ध हैं।

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