सुबह-सुबह चहचहाने वाले और उड़ कर दाने की तलाश में जाने वाली चिड़िया पर हिंदी कविता :-

चिड़िया पर हिंदी कविता

चिड़िया पर कविता

चिड़िया रानी चिड़िया रानी
डाल डाल पर जाती हो
सूरज की सुबह लाली में
मधुर तान सुनाकर
सबको रोज जगाती हो।

खूब करती मेहनत,
जीवन पथ पर
अथक बढ़ती जाती हो,
तिनका तिनका जोड़ जोड़कर
अपना घर बनाती हो।

जब बैठूं मैं, खाने को
हाथ में थाली लिये
तुम फुदक – फुदककर
पास आ जाती हो
नयन में करुणा का
सागर लिये
अपना पँख फैलाती हो।

घर आँगन की तुम राज दुलारी
प्रतिदिन, आँगन में आती हो
सूने पड़े मेरे आँगन को
खुशियों से तुम भर जाती हो,,

कोई उजाड़े तुम्हारा घर
तुम मायूस हो जाती हो,
परन्तु फिर भी हार नहीं मानती
तुम फिर से तिनका तिनका
जोड़ जोड़ कर अपना घर बनाती हो।

न कोई ईर्ष्या, न कोई घमंड
तुम्हारा ह्रदय, दया, क्षमा, करुणा
और स्नेह से है भरा हुआ,
तुम निरंतर बढ़ती
हौसलों का पँख लगाकर।

तुम पंछी हो नील गगन के
अथक आगे बढ़ती जाती हो,
चाहे हो बाधा कठिनाई
निरंतर बढ़ती जाती हो।

जीवन एक भंवर है
हर पल कठिन ड़गर है,
निरंतर आगे बढ़ना
हमेसा जग को
सिख़लाती हो।

पढ़िए :-चिड़िया पर कविता “ओ री चिड़िया”


रचनाकार का परिचय

पुष्पराज देवहरेनाम :- पुष्पराज देवहरे
ग्राम :- दोंदे खुर्द रायपुर
पढ़ाई – BA फाइनल, PGDCA
रूचि – कविता लेखन, पढ़न
कार्य – सोशल वर्कर, भीम रेजिमेंट छत्तीसगढ़ गैर राजनीतीक संगठन ब्लॉक सचिव धरसींवा रायपुर,

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