Desh Prem Par Kavita – अपने देश के प्रति प्यार को बयान करती देश प्रेम पर कविता ” जन्म लूं धरा पर ” :-
Desh Prem Par Kavita
देश प्रेम पर कविता – जन्म लूं धरा पर
दुनिया में अलग हो ,
अपने देश का तिरंगा !
पावन है मातृभूमि,
प्रकृति रंग बिरंगी !!
मैं जन्म लूँ धरा पर…. 2
जहां बहती है मां गंगा…
दुनिया से अलग है
अपने देश का तिरंगा…
राम ,कृष्ण, बुद्ध, नानक की ,
भूमि ने सबको खींचा !
वीरों ने इस धारा को,
अपने खून से है सींचा !
बन गया वो राजा ,
जो आया था भिखमंगा !!
मैं जन्म लूं धरा पर,
जहां बहती है मां गंगा….. !
जहां के वीरों ने ,
कभी शीश ना झुकाए !
अंधकार में भी जिसने ,
प्रकाश है फैलाए ,
अनेकता में बसी हो !!
जहां सोच एकरंगी ,
मैं जन्म लूं धरा पर ,
जहां बहती है मां गंगा…..!!
जहां पर फैली हो ,
चारों ओर हरियाली !
चरण को धोता सागर ,
पर्वत करे रखवाली ,
ईश्वर से मैं हमेशा !!
एक ही बार है मांगा,
मैं जन्म लूं धरा पर !
जहां बहती है मां गंगा….!
पढ़िए :- फौजी पर कविता | कफ़न बाँध के निकलूं मैं
यह कविता हमें भेजी है एसपी राज जी ने बेगुसराय से।
“ देश प्रेम पर कविता ” ( Desh Prem Par Kavita ) के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे रचनाकार का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।
यदि आप भी रखते हैं लिखने का हुनर और चाहते हैं कि आपकी रचनाएँ हमारे ब्लॉग के जरिये लोगों तक पहुंचे तो लिख भेजिए अपनी रचनाएँ hindipyala@gmail.com पर या फिर हमारे व्हाट्सएप्प नंबर 9115672434 पर।
हम करेंगे आपकी प्रतिभाओं का सम्मान और देंगे आपको एक नया मंच।
- हमारा फेसबुक पेज लाइक करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
- हमारा यूट्यूब चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
धन्यवाद।
Very Nice Poem ☺