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मजदूर पर दोहे
दिन दुपहर या शाम हो, सभी समय मजबूर ।
उदर भरण के वास्ते, करे मेहनत मजदूर ।।
कभी कदम रुकते नहीं, सृजन करें भरपूर ।
उचित भाग मिलता नहीं, श्रम में चकना चूर ।।
दो जूना की रोटियां, होवे जिसका लक्ष्य ।
हांथ पांव चलते रहें, जीवन का उपलक्ष्य ।।
चाहे श्रम का कार्य हो, चाहे कृषि कर्म ।
जिनके तन मन में नहीं, आलस रूपी मर्म ।।
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रचनाकार का परिचय :-
नाम – आशीष तिवारी
पिता – अशोक तिवारी
माता – सुनैना तिवारी
प्रारम्भिक शिक्षा – शासकीय माध्यमिक विद्यालय, कोल्हुवा शहडोल मप्र।
शिक्षाशास्त्री – जगद्गुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर ।
आचार्य(M.A.) साहित्य – सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी ।
स्थाई निवास-ग्रा पो कोल्हुआ जैतपुर जिला शहडोल मप्र
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