Gav Par Kavita In Hindi गाँव पर कविता शहर में आने के बाद गाँव की यादें ही साथ रह जाती हैं। उन्हीं यादों पर आधारित है यह गाँव पर कविता :-
Gav Par Kavita In Hindi
गाँव पर कविता
आके शहर वो हम गांव को भूल गए,
रिश्ते जो थे वो गांव में ही छूट गए।।
मेरा वो गांव वो गांव की गलियां,
गलियों में थी जाने कितनी कोलियां।
वो मिट्टी जिसमें मेरा पूरा बचपन गुजरा,
याद आती हैं वो यादें कितनी बढ़िया।
इस कदर खो गया हूं इस शहर की भीड़ में,
कितना अच्छा लगता था वो गांव की झील में।
सुन सकोगे न यहां खुद की आवाज़ को,
देते थे टक्कर वहां कोयल की आवाज को।
सांझ होते ही लग जाती थी चौपाले ,
बात ही बात में लोग देते थे मशाले ।
अपने अनुभव को थे वो समझाते,
दिल से दिल मिलकर दिलदार हो जाते।
मिल एक दूसरे से खुशी से वो फूल गए,
आके शहर वो हम गांव को भूल गए।।
मस्त हैं सब अपनी ही मस्ती में यहां,
एक थे सब बात हो कोई बस्ती में वहां।
मुसीबत आए तो सब मिल बाट लेते थे,
करते थे वो काम सब जो ठान लेते थे।
मेले में मधुर दृश्य दिखाई देते थे,
बाप के कंधे पर अक्सर बच्चे होते थे।
इस कदर खो गई है इंसानियत धूल में,
केवल काम ही काम है यहां जूल में।
अपने रिश्ते भी नहीं निभाए जाते हैं,
पिता जी भी हाय डैड बुलाए जाते हैं।
शर्म मर्यादा सब कितने पीछे छूट गई,
बाप के जिंदा रहते ही बेटे की मूंछ गई।
देते हैं कैसे इज्जत सारे रुल गए,
आके शहर वो हम गांव को भूल गए।।
गांव की कच्ची सड़के जिनमें बहता पानी,
भरी दोपहरी में खेल खेल में करते थे शैतानी।
छत में काले कागा की आवाज सुनाई देती थी,
संध्या की पावन बेला में गोधूल दिखाई देती थी।
पांव से सर तक धूल लगा के आना होता था,
पापा की डांट मम्मी का समझाना होता था।
दादी बाबा की कहानी एक कहानी बन गई,
चलते समय दिया रुपया एक निशानी बन गई।
मुसीबत आए तो आती है याद गांव की,
स्मृतियां आज भी है कागज के नाव की।
आती है जब याद गांव की चुपके से रो लेता हूं,
करके याद वो थपकी दादी धीरे से सो लेता हूं।
खुशबू आती थी जिनमें वो फूल गए,
आके शहर हम गांव को भूल गए।।
पढ़िए :- गांव पर हिंदी कविता “यूँ ही गाँव, गाँव नहीं कहलाता”
रचनाकार का परिचय :-
नाम – प्रशांत त्रिपाठी
पिता – श्री शिवशंकर त्रिपाठी
पता – गोपालपुर नर्वल कानपुर नगर
रूचि – कविता लिखना और गणित विषय अध्यापन कार्य।
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धन्यवाद।
Bahot ho awesome Kavita h
Hmko bhi hmara bachpan yad aa gya
Prashant ji aapko bahot bahot namaskar.
Very very nice poem bade bhaiya . This is a hidden talent that i come to know today. please working on a such a talent.
A very very nice poem bade bhaiya. All the lines of poem is very clear and beautiful. This is a hidden talent that i came to know today .
amazing poetry by P.T keep it up…..
Bhut bhut thanks
शानदार कविता ।
बहुत खूब