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हिंदी कविता भारती जय भारती
भारती जय भारती ये भारती का गीत है ।
स्वतंत्रता की आरती स्वतंत्रता का दीप है ।।
ये देश की आजादी पाने कितने वीर सो गए ।
अलख जगाने निकले और पथ में आके खो गए ।।
नहीं मिली स्वतंत्रता हमें यहां बेमोल है ।
शीश को चढ़ाया और चुकाया कितना मोल है ।।
शौर्य का तिलक लगाके पाई हमने जीत है ।
भारती जय भारती ये भारती का गीत है ।।
गण-तंत्र की खुशी हमें यूँ ही नहीं है मिल गयी ।
किया जो त्याग देश ने अधर पे आके खिल गयी ।।
मिला जो रक्त वीर का ध्वजा की शान बढ़ गयी ।
धधकती ज्वालामें फिरंगियों की सत्ता जल गयी ।।
स्वतंत्रता की देश से अटूट बंधी प्रीत है ।
भारती जय भारती ये भारती का गीत है ।।
हुए हैं धन्य–धन्य भाग्य जो मिला ये देश है ।
हमें हमारे प्राणों से भी प्यारा अपना देश है ।।
हमारे देश की नई पहचान बन के छा गया ।
छब्बीस को लिखा था वो संविधान बनके आ गया ।।
लहराता ये तिरंगा बन गया ह्रदय का मीत है ।
भारती जय भारती ये भारती का गीत है ।।
स्वतंत्रता की आरती स्वतंत्रता का दीप है ।
भारती जय भारती ये भारती का गीत है ।।
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रचनाकार कर परिचय
यह कविता हमें भेजी है शिवांगी मिश्रा जी ने धौरहरा, लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश से।
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