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हिंदी कविता मजदूर
सबका सेवक है ,
करता वह दिन रात मेहनत है।।
मिलो के सफ़र में
जिंदगी के सफ़र को माप दिया
देश के कैसे परिदृश्य को
सामने उजागर कर दिया।।
पैरों के जख्म के
छाले बताते है,
उसकी जिंदगी के
तजुर्बे की कहानी को।।
हम्माली करके पेट भरता
हां जी , हां जी करके
सबके आगे झुकता
करता न किसी से सिकायत ।।
कभी न अपना ईमान बेचा
मजदूरी करके भी
अपना स्वाभिमान कमाया।।
सभी ने उसे छोटा समझा
सभी ने उसे निची जाती का कहा
तो कभी अपने हित के लिए
अपना हित साधा।।
कंधो पर बोझा ढोकर भी,
अपनी पहचान बनाता
न कभी पैसों के लिए बिका।।
छोटी सी ही सही पर,
खुद की अलग पहचान
बनाता।।
देश का 53 प्रतिशत
भाग बनाता है
देश की उन्नति के लिए
आगे कदम बढ़ाता है।।
मजदूरी करके
देश की अर्थवयवस्था को
आगे बढ़ाता है
वह भी देश का हिस्सा है
क्या हुआ वह मजदूर है।।
रचनाकार का परिचय
नाम – संध्या शर्मा
स्नाकोत्तर – एम. एससी . ( वनस्पति विज्ञान ) 71%
“विश्वविद्यालय की प्रावण्य सूची में स्थान ”
(देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर )
साहित्यिक परिचय – 1 साल से लिखना प्रारम्भ किया है जिसमे 50 से ज्यादा कविताएं तथा 5
लेख है जो अलग – अलग वेबसाइट रचनाएं प्रकाशित है।
जिसमे कुछ को सम्मान मिला है , कुछ को सराहना , कुछ को मासिक पत्रिका में स्थान।।
लेखन मेरा शोक है जिसमें मुझे लिखने पर अंदर से खुशी मिलती हैं। शब्द गहरे नहीं होते है मेरी रचनाओं के सीखने का प्रयास कर रही हूं। मंच पटल पर बहोत कुछ सीखने को मिलता है। वर्तमान में सिविल सर्विस , प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के साथ लेखन कार्य कर रही हूं।
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